78 years after independence, Doordarshan's voice resonated for the first time in the Maoist remote village Poorvarti
नई दिल्ली
छत्तीसगढ़ के दक्षिणतम छोर सुकमा जिले के अति-माओवाद प्रभावित और दुर्गम क्षेत्र पूवर्ती में विकास की एक नई किरण पहुंची है. आजादी के 78 साल बाद पहली बार इस गांव के लोगों ने दूरदर्शन पर देश-दुनिया की खबरें, धारावाहिक और स्थानीय फिल्में देखी. नियद नेल्ला नार गांव पूवर्ती के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी दूरदर्शन के कार्यक्रमों को देखने के लिए घंटों टीवी सेट के पास बैठे रहे.
इस पहल ने यह साबित किया है कि विकास की तेजी से माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव हो रहा है. जिससे पूवर्ती, सिलगेर, टेकलगुड़ियम जैसे सुदूर गांवों में इस तरह की योजनाएं विकास और शांति का नया अध्याय लिख रही हैं.
इस ऐतिहासिक अवसर पर गांव के बच्चों ने ज्ञानवर्धक कार्यक्रम और कार्टून देखकर न केवल खुशी का अनुभव किया, बल्कि उनके चेहरे पर सीखने और उत्सुकता की झलक भी साफ देखी गई. यह पहल ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है.
माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने और जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुदूर गांवों तक पहुंचाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नियद नेल्लानार योजना का संचालन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर इस योजना का मुख्य उद्देश्य गांवों तक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुंचाना है.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) विभाग ने पूवर्ती गांव में सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण का वितरण किया. परिवार को सोलर लाइट और सोलर पंखा वितरण किया गया. इसके साथ ही दूरदर्शन के सेट पूवर्ती, टेकलगुडियम और सिलगेर में क्रमशः दो-दो सेट स्थापित किए गए हैं. इस कदम से गांव में बिजली की कमी की समस्या दूर हो गई है और ग्रामीणों को अंधेरे से मुक्ति मिली है.
ग्रामीणों ने कहा कि गर्मी के मौसम में सोलर पंखों से राहत मिलेगी. पंखा पाकर लोग बेहद खुश हैं. यह कदम उनके जीवन में नई ऊर्जा और उम्मीदें लेकर आया है.
नियद नेल्लानार गांव की बंजाम मड़गू, बंडीपारा पूवर्ती ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे गांव में टीवी आएगा. पहली बार देश-दुनिया की खबरें और धारावाहिक देखकर ऐसा लग रहा है जैसे हम भी अब बाकी दुनिया से जुड़े हैं. सोलर लाइट और पंखे से अब रातें रोशनी से भर जाएंगी और गर्मी से भी राहत मिलेगी. यह हमारे लिए चमत्कार होने जैसा है.
गांव के युवा नुप्पो हड़मा, तुमालपारा पूवर्ती ने कहा, "अब बच्चों को पढ़ाई करने में आसानी होगी, क्योंकि सोलर लाइट की मदद से रात को भी आसानी से पढ़ सकेंगे. दूरदर्शन पर आने वाले ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों से बच्चों को नई जानकारी मिलेगी."
कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने कहा कि पूवर्ती जैसे दूरस्थ और माओवाद प्रभावित गांवों तक सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण पहुंचाना विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह ग्रामीणों की जरूरतें पूरी कर रहा है, साथ ही पर्यावरण संरक्षण और स्थायी ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा दे रहा है. हमारी कोशिश है कि इन क्षेत्रों के हर गांव में विकास के नए आयाम जोड़े जाएं, जिससे लोग मुख्यधारा में शामिल हो सकें.
सुकमा जिले में जनजातीय वर्गों की बहुलता है, जो वन संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा के प्रति सदैव तत्पर रहते हैं. सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरणों के वितरण से न केवल ग्रामीण बिजली पर निर्भरता से मुक्त हो रहे हैं, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण को भी प्रोत्साहन दे रहा है. अक्षय ऊर्जा के उपयोग से प्रदूषण में कमी आएगी और यह सतत विकास का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेगा.