हैदराबाद.
तेलंगाना का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर नवनिर्वाचित विधायकों के बीच सर्वसम्मति न बन पाने और कांग्रेस नेतृत्व की ओर से कोई बयान नहीं आने के कारण सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह नहीं हो पाया. इससे पहले, दिन में नवनिर्वाचित विधायकों की एक बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता का नाम देने के लिए अधिकृत किया गया था.
हालांकि, सोमवार देर रात तक नेतृत्व की ओर से कोई घोषणा नहीं हुई, जिससे राज्य इकाई प्रमुख ए. रेवंत रेड्डी के समर्थक मायूस हो गए. राज्य के शीर्ष पद की दौड़ में रेवंत का नाम सबसे आगे . पार्टी द्वारा घोषणा में देरी से चिंतित रेवंत रेड्डी के कुछ समर्थकों ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की मांग करते हुए राजभवन तक मार्च किया.
इस चर्चा के बीच कि रेवंत रेड्डी सोमवार शाम को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, राजभवन में सभी व्यवस्थाएं की गईं. सामान्य प्रशासन विभाग और प्रोटोकॉल के अधिकारी राजभवन पहुंचे थे और दरबार हॉल में शपथ ग्रहण के लिए सारी व्यवस्थाएं कर ली गई थीं.
हालांकि, पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आने के कारण शपथ ग्रहण टालना पड़ा. इससे पहले, राज्यपाल तमिलिसाई सुदरराजन ने नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए विधानसभा भंग कर दी और नई विधानसभा गठन के लिए गजट अधिसूचना जारी की.
राज्यपाल के कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, मंत्रिपरिषद के प्रस्ताव पर विधानसभा भंग की गई. मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज और चुनाव आयोग के सचिव अविनाश कुमार द्वारा निर्वाचित विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपेे जाने के बाद अधिसूचना जारी की गई.
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और एआईसीसी पर्यवेक्षक डी.के. शिवकुमार, जो शुक्रवार से हैदराबाद में डेरा डाले हुए थे, नवनिर्वाचित विधायकों के विचारों से आलाकमान को अवगत कराने के लिए दिल्ली के लिए रवाना हो गए. सीएलपी की बैठक के बाद उन्होंने अन्य पर्यवेक्षकों दीपा दास मुंशी, डॉ. अजॉय कुमार, के.जे. जॉर्ज और के. मुरलीधरन ने सभी 64 विधायकों से अलग-अलग मुलाकात कर उनकी राय ली.