आपके हिसाब से मुसलमान कैसा दिखता है?

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 16-06-2023
आपके हिसाब से मुसलमान कैसा दिखता है?
आपके हिसाब से मुसलमान कैसा दिखता है?

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

लेखक रक्षंदा जलील की एक किताब का नाम है but you don't look like a muslim ( अरे आप मुसलमान हैं मगर आप मुसलमान के जैसे लगते नहीं हैं). यानी सवाल ये है कि आखिर मुसलमान कैसा दिखता है. अभिनेता मेजर मोहम्मद अली शाह ने लेखिका और शिक्षिका आमना मिर्ज़ा और शोधकर्ता तहमीना रिज़वी से इस खास मुद्दे पर चर्चा की. इस बातचीत के कुछ खास अंश यहां पढ़ें.

एक मुसलमान होने के नाते लेखिका और शिक्षिका आमना मिर्ज़ा ने कहा कि मुझे भारत से बेशुमार मोहोब्बत है. अगर किसी बच्चे से यह पूछा जाए कि आप अपनी मां से कितना प्यार करते हो कोई बच्चा इसका जवाब आसानी से नहीं दे सकता. जब आप एक एसी जगह रहते हैं जहां आपको विभिन्न लोगों और चीजों का मिश्रण मिलता है, जहां विभिन्न आचार हैं, विचार हैं बावजूद इसके प्यार है वो जगह है भारत. खास बात यहीं है कि यहां अनेकता में एकता है.

वहीं शोधकर्ता तहमीना रिज़वी ने कहा कि लोग अक्सर मुझसे भी पूछते हैं कि आप मुसलमान नहीं लगती इसपर मैं उनसे उल्टा सवाल करती हूं कि आखिर आपके हिसाब से मुसलीम दिखना कैसा चाहिए ?

उनका कहना है कि दुनिया में कई लोग ये मानते हैं कि मुसलमान एक अलग तौर का दिखता है लेकिन मुझे कभी किसी को यह जताने या बताने की जरूरत महसूस नहीं हुई की मैं एक मुसलमान औरत हूं मैं जैसी हूं वैसी हूं अपने आप में कोई बदलाव नहीं किया और मैं एक भारतीय हूं बस यहीं मेरी असली पहचान है जिसपर मुझे फक्र भी है और खुशी भी.

वहीं भारत में विभिन्न त्योहारों को मनाने की रीत पर आमना मिर्ज़ा कहती हैं कि मेरे यहां ईद की तरह ही होली, दीवाली होती है, भारत में सारे त्योहार हर्ष और उत्साह के साथ मनाते हैं यहीं भारत देश की खूबसूरत विविधता है और मुझे ईद पर मेरे परिवार से पहले मेरे हिंदु दोस्त और जानकार चांद रात की बधाई, ईद की मुबारकबाद देते हैं.

मैं दीवाली, होली, ईद सारे त्योहारों पर सबका मुंह मीठा कराकर उनको तोहफ़े भेट करतीं हूं और ढेर सारी शॉपिंग करतीं हूं. और रमजान में जब मैं रोजे से होती हुं तो मेरे काम को अपने आप ही हल्का कर दिया जाता है जोकि प्रेम का अनूठा बंधन है. खुबसूरत ताल मेल है. यहीं रिश्ता भारत की मिसाल- ए - खासियत है.

वहीं कश्मीरी शोधकर्ता तहमीना रिज़वी ने कहा कि कश्मीर में जब कश्मीरी पंडितों की संख्या अधिक थी तब सभी त्योहारों को जश्न के साथ मनाया जाता था लेकिन अब जनसंख्या के आधार पर बारामुला और अन्य क्षेत्रों में जहां कश्मीरी पंडित और सिख हैं वहां होली, दीवाली होती है और वहां लोगों को अभी थोड़ी जानकारी का आभाव भी है अभी वे सर्वदेशीय नहीं है.

लेकीन जबसे मैं दिल्ली शिफ्ट हुई तबसे मेरा कैलेंडर त्योहारों से भरा होता है मैं ईद के साथ साथ अब होली, दीवाली मनाने लगी हूं और हर साल होली पर एक सूट की शॉपिंग जरुर करतीं हूं.

देखिए-