Wakf Amendment Act 2025: Supreme Court did not stop the termination of ‘Wakf from user’
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश एनडीए सरकार द्वारा बनाए गए कानून से वक्फ संपत्तियों की रक्षा नहीं कर पाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि यह कानून अतिक्रमणकारियों को लाभ पहुंचा सकता है और वक्फ ज़मीनों के विकास को रोक देगा.
पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, “यह अंतरिम आदेश है। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही पूरे कानून पर सुनवाई शुरू करे और अंतिम फैसला दे. यह आदेश एनडीए सरकार के बनाए गए कानून से वक्फ संपत्तियों को नहीं बचा पाएगा. अतिक्रमणकारियों को इनाम मिलेगा। वक्फ संपत्तियां विकसित नहीं होंगी। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही अंतिम निर्णय देगा…”
सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी पर भी ओवैसी ने सवाल उठाया जिसमें वक्फ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को “जहां तक संभव हो” मुस्लिम नियुक्त करने की बात कही गई है. उन्होंने कहा, “सरकार दावा करेगी कि उसे कोई योग्य मुस्लिम नहीं मिला. जो पार्टी मुसलमानों को सांसद टिकट नहीं देती, जिसका कोई मुस्लिम सांसद नहीं है, क्या वह मुस्लिम अफ़सर चुनेगी? इंटेलिजेंस ब्यूरो में कितने मुसलमान हैं? वे वक्फ में गैर-मुस्लिम सदस्यों को नियुक्त करेंगे। क्यों? यह अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है. जैसे सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (एसजीपीसी) में अगर गैर-सिख को सदस्य बना दिया जाए तो सिख कैसा महसूस करेंगे?”
ओवैसी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 300 किसी भी व्यक्ति को अपनी संपत्ति किसी को भी देने की अनुमति देता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से इस प्रावधान पर रोक नहीं लगाई है कि व्यक्ति को पांच साल से आस्थावान मुस्लिम होना चाहिए. कोई कानून नहीं रोकता कि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति किसी दूसरे धर्म को न दे सके. अनुच्छेद 300 के अनुसार मैं अपनी संपत्ति जिसे चाहूं उसे दे सकता हूं. तो फिर इस धर्म के अनुयायियों के लिए ही ऐसा प्रावधान क्यों बनाया गया है? भाजपा को बताना चाहिए कि कितने लोगों ने धर्म बदलने के बाद वक्फ को संपत्ति दी है… कलेक्टर की जांच वाले प्रावधान को तो रोका गया है लेकिन कलेक्टर के पास सर्वे कराने का अधिकार अभी भी है.