वरिष्ठ कन्नड़ अभिनेता एम. एस. उमेश का निधन, 80 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 01-12-2025
Veteran Kannada actor M.S. Umesh passes away at the age of 80
Veteran Kannada actor M.S. Umesh passes away at the age of 80

 

बेंगलुरु

वरिष्ठ कन्नड़ अभिनेता मैसूर श्रीकंठैया उमेश का रविवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। परिवार के अनुसार, वह 80 वर्ष के थे।उमेश काफ़ी समय से कैंसर से जूझ रहे थे और हाल ही में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार बनशंकरी श्मशान में किया गया।

पांच दशकों से अधिक लंबे करियर में उमेश ने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया।24 अप्रैल 1945 को मैसूर में जन्मे उमेश ने महज़ चार साल की उम्र में मास्टर के. हिरण्णैया के थिएटर ग्रुप में नाटक ‘लंछावतार’ से अभिनय की शुरुआत की। बाद में उन्होंने गुब्बी वीरन्ना की नाट्य मंडली भी जॉइन की।

उन्हें 1960 में फिल्म ‘मक्कला राज्य’ में मुख्य भूमिका से पहला बड़ा अवसर मिला। इस डेब्यू के बाद उनके करियर में एक ठहराव आया और वह फिर थिएटर की ओर लौट गए। 1977 में ‘कथा संगम’ से उन्होंने सिनेमा में वापसी की, जो उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

इसके बाद उन्होंने ‘नागरहोल’ (1977), ‘गुरु शिष्यरु’ (1981), ‘अनुपमा’ (1981), ‘कामना बिल्‍लु’ (1983) और ‘वैंकटा इन संकटा’ (2007) जैसी कई यादगार फिल्मों में अभिनय किया।उमेश ने अपने दौर के दिग्गज कन्नड़ कलाकारों—राजकुमार, विष्णुवर्धन, अंबरीश, श्रीनाथ, शंकर नाग, अनंत नाग, सरोजा देवी—के साथ काम किया। उन्होंने तमिल सिनेमा के महान कलाकार शिवाजी गणेशन और रजनीकांत के साथ भी स्क्रीन साझा की।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी उमेश को 1975 में ‘कथा संगम’ के लिए कर्नाटक राज्य फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का सम्मान मिला था। थिएटर में उनके योगदान के लिए 2013 में उन्हें कर्नाटक नाटक अकादमी पुरस्कार भी दिया गया।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें एक बहुआयामी कलाकार बताया और याद किया कि उमेश ने बीमारी के दौरान सरकारी सहयोग के लिए उनसे मुलाकात भी की थी।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “उमेश ने अपने स्वाभाविक अभिनय से कई दशकों तक दर्शकों का मनोरंजन किया।”

उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने कहा कि उमेश के निधन की खबर बेहद दुखद है।उन्होंने कहा, “350 से अधिक फिल्मों में काम करके उमेश ने कन्नड़ सिनेमा को अपार योगदान दिया।”

जे.डी.(एस) नेता और केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने भी शोक जताते हुए कहा, “उमेश अपनी ताज़ा और स्वाभाविक हास्य शैली से दर्शकों को हंसी के समुद्र में डुबो देते थे। ‘हालु जे्नु’ (1982) समेत कई फिल्मों में यादगार अभिनय देने वाले उमेश का जाना कन्नड़ कला जगत के लिए बड़ी क्षति है।”