Uttarakhand CM announces direct deployment of Agniveers in Tiger Protection Force
देहरादून (उत्तराखंड)
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को घोषणा की कि राज्य के अग्निवीरों को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में स्थापित किए जा रहे बाघ संरक्षण बल में सीधी तैनाती दी जाएगी। बाघ संरक्षण बल में 80 से अधिक युवाओं की भर्ती की जाएगी।
इस बल का प्राथमिक उद्देश्य बाघों और उनके आवास की सुरक्षा को सुदृढ़ करना है। इससे न केवल बाघ संरक्षण प्रयासों को बल मिलेगा, बल्कि अग्निवीर योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस बल की स्थापना से व्यापक बाघ संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी और शिकार पर रोक लगेगी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि बाघ संरक्षण बल का मुख्य कार्य बाघों के शिकार को रोकना होगा।
प्रशिक्षित जवान वन क्षेत्रों में गश्त करेंगे, खुफिया जानकारी एकत्र करेंगे और शिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। वन्यजीव अपराधों को नियंत्रित करने के साथ-साथ यह बल वन और वन्यजीवों से संबंधित अन्य अपराधों जैसे लकड़ी की तस्करी, अवैध खनन और अतिक्रमण पर भी नियंत्रण रखेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाघों के प्राकृतिक आवास का संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। यह बल वनों की कटाई और उनके आवास को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों को रोकने में मदद करेगा और मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन में भी सहायक होगा। उन्होंने कहा कि कई बार बाघ आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष होता है। इस बल को ऐसी स्थितियों से निपटने और नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि दोनों पक्षों को नुकसान न हो। इस बल को ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और जीपीएस ट्रैकिंग जैसी आधुनिक निगरानी तकनीकों से लैस किया जा सकता है, जिससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ेगी।
उत्तराखंड के अग्निवीरों की प्रत्यक्ष तैनाती बाघ संरक्षण में भारतीय सेना (या सेना-प्रशिक्षित कार्मिकों) की भागीदारी का एक अनूठा उदाहरण है। अग्निवीरों ने भारतीय सेना द्वारा कठोर अनुशासन और प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यह प्रशिक्षण उन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से सुदृढ़ और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार बनाता है। ये गुण उन्हें वन गश्त और वन्यजीव अपराधों से निपटने में अत्यधिक प्रभावी बनाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना के जवान रणनीतिक योजना बनाने और त्वरित निर्णय लेने में कुशल होते हैं। अग्निवीरों को अक्सर आधुनिक हथियारों और संचार प्रणालियों के उपयोग का ज्ञान होता है, जिससे वे वन्यजीव संरक्षण के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम होंगे। अग्निवीर राष्ट्र सेवा की भावना से ओतप्रोत हैं। वन्यजीव संरक्षण भी राष्ट्र सेवा का एक रूप है, और यह भावना उन्हें अपने कर्तव्य के प्रति और अधिक समर्पित बनाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने से उन्हें क्षेत्र के भूगोल, मौसम और स्थानीय चुनौतियों की बेहतर समझ होगी, जिससे उनका कार्य और अधिक प्रभावी होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में बाघों के सबसे महत्वपूर्ण आवासों में से एक कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व को अब एक उच्च प्रशिक्षित और समर्पित बल का संरक्षण प्राप्त होगा। इससे शिकार की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है। अग्निवीरों की भर्ती से स्थानीय समुदाय भी संरक्षण प्रयासों में शामिल होगा और एक सकारात्मक माहौल बनेगा। उन्होंने कहा कि यदि यह मॉडल सफल रहा, तो इसे देश के अन्य बाघ अभयारण्यों और संरक्षित क्षेत्रों में भी दोहराया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर बाघ संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह घोषणा बाघ संरक्षण के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह कदम कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व और उत्तराखंड में बाघों के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
इस दिवस को मनाने की घोषणा 29 जुलाई, 2010 को सेंट पीटर्सबर्ग में की गई थी, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में बाघ संरक्षण और प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए सभी बाघ क्षेत्र देशों को एक ठोस प्रयास में एकजुट करना था। यह दिवस इन शानदार जीवों के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।