आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
आगामी केंद्रीय बजट में लक्षित राजकोषीय समर्थन के जरिये मजबूत घरेलू मांग को सहारा देकर आर्थिक वृद्धि को मजबूती दी जा सकती है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की विकास-उन्मुख मौद्रिक नीति के अनुरूप होगा। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई।
वैश्विक परामर्श फर्म ईवाई की रिपोर्ट कहती है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आयकर और जीएसटी दरों में कटौती होने से राजस्व में कुछ नुकसान हो सकता है। हालांकि, गैर-कर राजस्व से अतिरिक्त प्राप्तियां और राजस्व व्यय में संभावित कटौती से सरकार के लिए राजकोषीय घाटे एवं पूंजीगत व्यय के लक्ष्यों को पूरा करना संभव हो सकता है।
ईवाई ने कहा कि हाल में राजस्व बढ़ाने से जुड़े दो उपाय भी घोषित किए गए हैं, जिनमें तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं जन स्वास्थ्य उपकर शामिल हैं।
संसद ने हाल ही में तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क और पान मसाला पर उपकर लगाने से संबंधित दो विधेयकों को पारित किया है। ये कानून अधिसूचित तिथि से लागू होंगे।