नई दिल्ली
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस साल अक्टूबर-नवंबर के शुरुआती सर्दियों में दिल्ली-NCR की हवा और ज्यादा जहरीली हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पराली जलने की घटनाएँ पिछले वर्षों की तुलना में कम होने के बावजूद दिल्ली की हवा बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंच गई, जो स्थानीय प्रदूषण स्रोतों—खासकर वाहनों और दहन स्रोतों—के बढ़ते प्रभाव को उजागर करती है।
CSE की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा:“दिल्ली अब पराली के धुएं को ढाल बनाकर नहीं छुप सकती। स्थानीय स्रोतों से PM2.5, NO2 और CO का एक ‘जहरीला मिश्रण’ बन रहा है, जिसे नजरअंदाज किया गया है।”उन्होंने कहा कि दिल्ली की लम्बी अवधि की एयर क्वालिटी में भी अब सुधार की गति ठहर गई है, जो बुनियादी परिवर्तन की जरूरत को दर्शाता है।
CSE की डिप्टी प्रोग्राम मैनेजर शरणजीत कौर ने कहा कि NCR के छोटे शहरों में धुंध की परत ज्यादा तीव्र और लंबे समय तक बनी रहती है। कम पराली धुएं के बावजूद पूरा क्षेत्र “अधिक संतृप्त” होता जा रहा है।
मंगलवार को सीपीसीबी ने दिल्ली का AQI 304 (‘Very Poor’) दर्ज किया।
• आनंद विहार – 383
• अक्षरधाम – 383
• ITO – 331
• गाजीपुर – 383
सभी स्थानों पर घना स्मॉग देखा गया।
• 0–50 (Good): न्यूनतम स्वास्थ्य जोखिम
• 51–100 (Satisfactory): संवेदनशील वर्ग को हल्की दिक्कत
• 101–200 (Moderate): दमा व फेफड़ों के मरीजों को कठिनाई
• 201–300 (Poor): लंबे समय तक रहने पर आम लोगों को भी परेशानी
• 301–400 (Very Poor): स्वस्थ लोगों को भी श्वसन रोगों का जोखिम
• 401–500 (Severe): सभी के लिए खतरनाक