आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
) जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटकों को वापस लाने के उनकी सरकार के प्रयास तभी कारगर हो सकते हैं, जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद बंद किए गए पर्यटन स्थलों को फिर से खोला जाए।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “सबसे पहले, हमें उन जगहों को फिर से खोलना होगा, जिन्हें बंद कर दिया गया है। हमने 35 साल में इन जगहों को बंद नहीं किया। जब आतंकवाद अपने चरम पर था, तब द्रंग या दूधपथरी को बंद नहीं किया गया था, गुलमर्ग के ऊपरी इलाकों को बंद नहीं किया गया था, अरु घाटी को बंद नहीं किया गया था।”
अब्दुल्ला ने कहा कि पर्यटन स्थलों को खोलने और उनका प्रभावी ढंग से प्रचार करने के लिए थोड़ा साहस दिखाने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने पर्यटन पर जरूरत से ज्यादा ध्यान दिए जाने की आलोचना का जवाब देते हुए कहा, “हम अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, जबकि हमें यह ताना भी सुनने को मिलता है कि हम पर्यटन का इतना प्रचार क्यों कर रहे हैं?”
अब्दुल्ला ने कहा, “हम जानते हैं कि लाखों लोगों के घर इस पर निर्भर हैं और हम चाहते हैं कि पर्यटन को पहलगाम हमले से पहले के स्तर पर बहाल किया जाए।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश के बाहर टीम भेजी हैं।
उन्होंने बताया कि पर्यटन को बहाल करने के लिए एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल सिंगापुर में है।
अब्दुल्ला ने कहा कि वह पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अगले महीने बर्लिन और लंदन भी जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर देश के अंदर की बात करें, तो नासिर (असलम वानी) हाल ही में प्रचार के लिए उदयपुर गए थे। हम कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मैं यह नहीं कह सकता कि केंद्र ने हमारा समर्थन नहीं किया, लेकिन हकीकत यह है कि दुर्भाग्य से, जम्मू-कश्मीर के अंदर हम दो सुरों में बात कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “एक तरफ, निर्वाचित सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने की बात करती है, लेकिन दूसरी तरफ अनिर्वाचित सरकार ने कश्मीर के एक बड़े हिस्से को पर्यटन के लिए बंद रखा है।”
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अगर वे (केंद्र सरकार)दूधपथरी, द्रंग और गुलमर्ग के कुछ हिस्सों जैसे प्रसिद्ध रिसॉर्ट्स को फिर से खोलने से डरते हैं, तो इसका मतलब है कि खतरा है। यही वजह है कि पर्यटक नहीं आ रहे हैं।’’