There is a need to transform employment-oriented and innovation-oriented education into a mass movement: Dharmendra Pradhan
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मध्यप्रदेश को वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक शिक्षा का 'सदियों पुराना केंद्र' करार देते हुए रविवार को कहा कि अब समय है कि भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली को कृत्रिम मेधा (एआई) से जोड़कर विश्व के सामने पेश किया जाए ताकि यहां की समृद्ध संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले।
प्रधान मध्यप्रदेश में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 क्रियान्वयन, चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी कार्यशाला को संबोधित किया।
केंद्रीय मंत्री ने मैकाले द्वारा स्थापित शिक्षा व्यवस्था में भारतीयता को स्थापित करने को राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य बताया और रोजगारपरक व नवाचार उन्मुख शिक्षा को जनांदोलन का रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया।
शिक्षा को प्राथमिकता का विषय बनाने के लिए राज्य शासन का आभार जताते हुए उन्होंने कहा, "मध्यप्रदेश ने संस्कृति, धर्म और ज्ञान परंपरा की निरंतरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वैज्ञानिकता, दार्शनिक स्पष्टता और अध्यात्मिकता का पुट भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आधार रहा है।"
उन्होंने प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में 'न्यू ऐज स्किल' जैसे क्वान्टम कम्प्यूटिंग और एआई के विस्तार की भी आवश्यकता बताई।
प्रधान ने विद्यार्थियों के निरंतर अध्ययनरत रहने, शोध को स्थानीय आवश्यकताओं से जोड़ने, शैक्षणिक संस्थाओं के प्रबंधन में समाज की भागीदारी बढ़ाने और शैक्षणिक संस्थाओं के प्रबंधन को समाज के प्रति उत्तरदायी बनाने पर भी जोर दिया।
बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के अभियान में समाज को जोड़ने की आवश्यकता बताते हुए केंद्रीय मंत्री आयोजनों में महंगे पुष्प-गुच्छ से स्वागत की परंपरा के स्थान पर फलों की टोकरी देकर स्वागत करने का नवाचार अपनाने का सुझाव दिया।