नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका को लेकर गहरी नाराजगी जताते हुए मंगलवार को याचिकाकर्ता वकील संदीप टोडी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार की तुच्छ याचिका दाखिल करके वकील ने “अदालत का माहौल खराब कर दिया.”
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने आदेश दिया कि यह जुर्माना राशि चार सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के खाते में जमा की जाए. पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि छह सप्ताह बाद यह जांचने के लिए मामला दोबारा सूचीबद्ध किया जाएगा कि जुर्माना अदा हुआ या नहीं.
न्यायमूर्ति नाथ ने टिप्पणी की, "आपने इस अदालत का माहौल खराब कर दिया है. कोई भी समझदार वकील संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस तरह की महत्वहीन याचिका दायर नहीं करेगा."
संविधान का अनुच्छेद 32 नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सीधे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का अधिकार देता है.पीठ ने यह स्पष्ट किया कि यदि याचिका को साधारण रूप से वापस लेने की अनुमति दे दी जाती, तो इससे गलत संदेश जाता. हालांकि, कोर्ट ने जुर्माने के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी.
दरअसल, वकील की याचिका में मुंबई की एक कुटुंब न्यायालय द्वारा वर्ष 2019 में पारित आदेश के आधार पर एक महिला (नेहा टोडी उर्फ नेहा सीताराम अग्रवाल) को दी गई राहतों पर एकतरफा रोक लगाने की मांग की गई थी.
याचिका में केंद्र सरकार, मुंबई की कुटुंब अदालत और बंबई उच्च न्यायालय को प्रतिवादी बनाया गया था.यह याचिका 25 मार्च को दाखिल की गई थी, जिसे न्यायालय ने अव्यवहारिक और अनुचित मानते हुए खारिज कर दिया.