नई दिल्ली
ओडिशा स्थित स्टार्टअप Coratia Technologies ने भारतीय नौसेना के साथ 66 करोड़ रुपये (लगभग 7.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत स्टार्टअप अपनी देशी विकसित अंडरवाटर रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (UWROVs) की आपूर्ति और रखरखाव करेगा, कंपनी ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा।
हाई-रैंकिंग नौसेना अधिकारियों की उपस्थिति में किए गए इस अनुबंध का महत्व इसलिए है क्योंकि यह भारतीय निर्मित UWROVs का नौसेना में पहली बार बड़े पैमाने पर परिचय है। वर्तमान में भारतीय नौसेना ने प्रमुख UWROV Jalasimha को कमीशन किया है, जिसने NASA आधारित टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल-9 के परीक्षण और प्रमाणपत्र सफलतापूर्वक पास किए हैं, जिससे इसे नौसेना संचालन में शामिल किया जा सके।
Coratia Technologies ने अंडरवाटर रोबोट Jalasimha, Jaladuta और Navya (ASV) विकसित किए हैं, जो सोनार आधारित मैपिंग और एआई व एमएल से सशक्त रियल-टाइम डेटा एनालिटिक्स की सुविधा प्रदान करते हैं। ये रोबोट रक्षा और नागरिक दोनों क्षेत्रों में उपयोग के लिए तैयार किए गए हैं। इनका किफायती डिज़ाइन उन्नत क्षमताओं के साथ लागत को काफी कम करता है, और यह भारत की अंडरवाटर रोबोटिक्स में पहली लागत-कुशल उपलब्धि है।
MGF Kavachh के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर राज सेठिया ने कहा, “हमने Coratia की घरेलू नवाचार क्षमता और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव लाने की संभावनाओं को पहचाना। निवेश केवल एक स्टार्टअप का समर्थन नहीं है, बल्कि ‘Make in India’ की भावना को मजबूत करना और भारत को वैश्विक तकनीकी नेतृत्व की दिशा में अग्रसर करना भी है।”
Coratia Technologies ने जुलाई 2025 में MGF Kavachh की अगुवाई में 17.4 करोड़ रुपये का प्री-सीरीज़ A फंडिंग भी जुटाई, जिसका उपयोग R&D, IPR और निर्यात बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
इन UWROVs का नागरिक और औद्योगिक उपयोग पहले ही SAIL, Indian Oil, Indian Railways, TATA Steel जैसी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। इनका उपयोग डैम और ब्रिज निरीक्षण, महासागर तल मानचित्रण, समुद्री पारिस्थितिकी निगरानी, ऑफशोर ऊर्जा परिसंपत्तियों, पाइपलाइनों और सबसी केबल्स के निरीक्षण, आपदा प्रबंधन और जल गुणवत्ता निगरानी में किया जाता है।
Coratia Technologies के को-फाउंडर और CEO देबेंद्र प्रधान ने कहा, “देशी UWROVs को शामिल करना न केवल लागत और विदेशी निर्भरता को कम करता है, बल्कि व्यापार प्रतिबंधों और टैरिफ अस्थिरता से निपटने में मदद करता है। यह भारत की रक्षा तैयारियों और ब्लू इकोनॉमी को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
यह स्टार्टअप NIT राउरकेला के FTBI, STPI भुवनेश्वर इलेक्ट्रोप्रेन्योर पार्क और Startup Odisha तथा i-Hub, गुजरात के सहयोग से विकसित किया गया है।