न्यायालय ने प्रोफेसर महमूदाबाद के खिलाफ मामले में एसआईटी जांच की दिशा पर उठाए सवाल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-07-2025
The court raised questions on the direction of the SIT investigation in the case against Professor Mahmoodabad
The court raised questions on the direction of the SIT investigation in the case against Professor Mahmoodabad

 

नई दिल्ली

उच्चतम न्यायालय ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में सोशल मीडिया पोस्ट के कारण अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज मामले में हरियाणा विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह जांच गलत दिशा में जा रही है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के नेतृत्व वाली एसआईटी से कहा कि वह केवल उन दो प्राथमिकी रिपोर्टों (एफआईआर) तक सीमित रहे जो महमूदाबाद के विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर दर्ज की गई हैं। अदालत ने एसआईटी को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करे कि जांच का दायरा अनुचित रूप से न बढ़ाया जाए और चार हफ्तों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “हम यह जानना चाहते हैं कि एसआईटी खुद को गलत दिशा में क्यों ले जा रही है। उनसे केवल पोस्ट की विषय वस्तु की जांच करने की उम्मीद है।”पीठ ने कहा कि वह जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, लेकिन मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करने के मामले में सवाल उठाए गए हैं।

एसआईटी की ओर से प्रस्तुत अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू को अदालत ने कहा, “एसआईटी यह निर्णय ले सकती है कि एफआईआर की विषय वस्तु में कोई अपराध नहीं है, तो मामला बंद किया जा सकता है। साथ ही, यदि जांच के दौरान कुछ ऐसी सामग्री मिलती है जो अलग मामले की वजह बनती है, तो कानून अपना काम करेगा।”

महमूदाबाद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि अदालत द्वारा एसआईटी को एफआईआर की विषय वस्तु तक सीमित रहने का निर्देश देने के बावजूद, एसआईटी ने महमूदाबाद के जब्त किए गए उपकरणों को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया।

अदालत ने कहा कि चूंकि महमूदाबाद जांच में सहयोग कर रहे हैं, इसलिए उन्हें दोबारा तलब करने की आवश्यकता नहीं है।उच्चतम न्यायालय ने 21 मई को प्रोफेसर की जमानत की शर्तों में ढील दी थी और उन्हें अदालत में विचाराधीन मामले को छोड़कर पोस्ट, लेख लिखने और राय व्यक्त करने की अनुमति दी थी।

28 मई को अदालत ने कहा था कि प्रोफेसर के अभिव्यक्ति के अधिकार में कोई बाधा नहीं आई है, हालांकि, उनके खिलाफ चल रहे मामले से जुड़े ऑनलाइन पोस्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

न्यायालय ने प्रोफेसर को 21 मई को अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन उनके खिलाफ जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।इसके साथ ही अदालत ने एसआईटी को निर्देश दिया था कि वह महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की विषय वस्तु की जांच करे।

हरियाणा पुलिस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में महमूदाबाद के सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उनके पोस्ट से देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुंचा।

सोनीपत जिले के राई पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थीं। पहली एफआईआर हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर और दूसरी एक ग्राम सरपंच की शिकायत पर दर्ज की गई थी।