कोविड में तब्लीगी जमात से जुड़े 70 भारतीयों के खिलाफ दर्ज 16 मामले दिल्ली हाईकोर्ट ने किए खारिज

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-07-2025
Delhi High Court dismisses 16 cases registered against 70 Indians associated with Tablighi Jamaat during the Covid period
Delhi High Court dismisses 16 cases registered against 70 Indians associated with Tablighi Jamaat during the Covid period

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कोविड-19 महामारी के शुरुआती चरण में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम के सिलसिले में दर्ज 16 मामलों को रद्द कर दिया. इन मामलों में 70 भारतीय नागरिकों को आरोपी बनाया गया था, जिन पर विदेशी नागरिकों को शरण देने और सरकार द्वारा कोविड रोकथाम के लिए जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप था.

मार्च 2020 में कोविड महामारी के दौरान दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में देश और विदेश से बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए थे. बाद में यह कार्यक्रम महामारी के प्रसार का केंद्र माना गया, जिसके बाद देशभर में इस आयोजन की तीखी आलोचना हुई थी और कई लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे.

इन मामलों में आरोप था कि स्थानीय निवासी भारतीयों ने लॉकडाउन और धारा 144 जैसे प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए विदेशी जमातियों को शरण दी, जिससे संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ा. दिल्ली पुलिस ने इन आधारों पर प्राथमिकी दर्ज की थी और बाद में आरोपपत्र भी दाखिल किया गया.

हालांकि, मामले में आरोपियों की ओर से अधिवक्ता आशिमा मंडला ने याचिका दायर कर अदालत से अनुरोध किया था कि इन प्राथमिकियों को रद्द किया जाए, क्योंकि न तो आरोपियों की मंशा आपराधिक थी और न ही उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद थे जो उन्हें दोषी साबित कर सकें.

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने गुरुवार को फैसला सुनाया और स्पष्ट रूप से कहा, "इन मामलों में दायर आरोपपत्र रद्द किए जाते हैं." कोर्ट ने यह माना कि मौजूदा तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए मुकदमे को आगे बढ़ाना न्यायहित में नहीं होगा.

हालांकि, अदालत के इस फैसले का विस्तृत विवरण अभी सामने नहीं आया है और पूरा निर्णय आने की प्रतीक्षा की जा रही है. लेकिन फैसले को एक महत्वपूर्ण कानूनी मिसाल के रूप में देखा जा रहा है, खासकर उन मामलों में जहां कोविड प्रतिबंधों के नाम पर धार्मिक समूहों को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया गया था.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी विभिन्न अदालतों में विदेशी जमातियों के खिलाफ दर्ज कई मामलों को खारिज किया गया था. बॉम्बे हाईकोर्ट और अन्य अदालतें भी कह चुकी हैं कि तब्लीगी जमात के खिलाफ कार्रवाई में अतिरेक बरता गया था और कई मामलों में पूर्वाग्रह की झलक दिखाई दी थी.

 

अब दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले से उन भारतीय नागरिकों को राहत मिली है, जो बीते पाँच वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे थे. साथ ही, यह फैसला भविष्य में ऐसे मामलों में न्यायिक दृष्टिकोण और संतुलन बनाए रखने के लिए एक अहम संकेत के रूप में देखा जा रहा है.