The court dismissed the FIR and directed the plaintiffs and defendants to organise 'Bhandara' on Navratri and Diwali.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पड़ोसी को कथित रूप से चोट पहुंचाने और आपराधिक रूप से धमकाने के आरोप में एक दंपति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करते हुए दोनों पक्षों को नवरात्र एवं दिवाली पर गरीब बच्चों के लिए ‘भंडारा’ आयोजित करने का आदेश दिया है.
न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने 19 सितंबर को यह आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि आरोपी व्यक्तियों और शिकायतकर्ता के बीच समझौता हो गया है.
अदालत ने कहा कि मामले को जारी रखना अदालत की कार्यवाही का दुरुपयोग करना होगा और इससे राज्य खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा.
आदेश में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता संख्या-एक और दो राधेपुरी स्थित शिव मंदिर में क्षेत्र के गरीब बच्चों के लिए दो मौकों पर भंडारा आयोजित करने का वचन देते हैं। इसमें से एक भंडारे का आयोजन आगामी नवरात्र के दौरान और दूसरे का दिवाली के दौरान होगा, जबकि इन भंडारों में कम से कम 50 बच्चों को भोजन करवाया जाएगा.’’
अदालत ने उन्हें भंडारे की तस्वीरों सहित एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया.
आदेश में कहा गया, ‘‘प्राथमिकी रद्द की जाती है, बशर्ते इस वचनबद्धता का पालन किया जाए। इन दोनों पक्षों के बीच समझौते और याचिकाकर्ताओं की दोषसिद्धि की दूर-दूर तक संभावना नहीं दिखने के मद्देनजर वर्तमान प्राथमिकी की कार्यवाही जारी रखने का कोई फायदा नहीं है और अगर यह जारी रखा जाता है तो यह न्यायालय की कार्यवाही का दुरुपयोग होगा और इससे राज्य के खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा.’
प्राथमिकी 2020 में धारा 324 (खतरनाक हथियारों या अन्य तरीकों से जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज की गई थी.