The court directed states and union territories to make rules for pedestrians.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सार्वजनिक स्थानों पर गैर-मोटर चालित वाहनों और पैदल यात्रियों की आवाजाही को विनियमित करके छह महीने के भीतर सड़क सुरक्षा नियम बनाने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 138 (1ए) और 210डी के तहत ऐसे नियम बनाने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देते हैं कि वे सार्वजनिक स्थानों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर गैर-यांत्रिक वाहनों और पैदल यात्रियों की गतिविधियों और पहुंच को विनियमित करने के उद्देश्य से मोटर वाहन अधिनियम की धारा 138 (1ए) के तहत छह महीने के भीतर नियम बनाएं, यदि पहले से नहीं बनाए गए हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देते हैं कि वे राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा अन्य सड़कों के लिए मानकों के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव के लिए अधिनियम की धारा 210डी के तहत छह महीने के भीतर नियम बनाएं और अधिसूचित करें, यदि पहले से नहीं बनाए गए हैं।’’
यह निर्देश कोयंबटूर निवासी सर्जन एस राजसीकरन की एक याचिका पर आया, जिन्होंने भारत में बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाओं पर प्रकाश डाला था।
याचिका में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए समन्वित प्रयास करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।