ठाकरे परिवार तुष्टिकरण में लिप्त, चुनाव कर्मचारियों पर बना रहे दबाव : मंत्री

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 03-11-2025
Thackeray family engaged in appeasement politics, putting pressure on election officials: Minister
Thackeray family engaged in appeasement politics, putting pressure on election officials: Minister

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
महाराष्ट्र के मंत्री आशीष शेलार ने सोमवार को शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे पर तुष्टिकरण की राजनीति करने और राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले सरकारी कर्मचारियों पर दबाव बनाने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
 
भारतीय जनता पार्टी के नेता शेलार ने आरोप लगाया कि विपक्ष एक "गलत नरेटिव" गढ़ने का प्रयास कर रहा है।
 
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, "वे कर्मचारियों पर दबाव बनाने और आगामी चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह हमारा सीधा आरोप है।"
 
राज्य में विभिन्न स्थानीय निकायों के चुनाव जनवरी 2026 तक पूरे होने हैं, जिनमें धन संपन्न मुंबई महानगर पालिका भी शामिल है।
 
शेलार ने आरोप लगाया, "ठाकरे और मविआ (महा विकास आघाड़ी) के नेता बिहारियों से नफरत करने से लेकर अपने ही मराठी लोगों को निशाना बनाने तक कई पाप कर रहे हैं।"
 
उन्होंने कहा, "वे राजनीतिक रूप से हमारा विरोध कर सकते हैं लेकिन इतना नीचे नहीं गिरना चाहिए। हिंदू मतदाताओं की कई प्रविष्टियों की ओर इशारा करके वे हिंदू-मुस्लिम विभाजन के बीज बो रहे हैं। उन्होंने अन्य समुदायों के मतदाताओं के नाम लेने से क्यों परहेज किया? हमें जवाब चाहिए।"
 
राज ठाकरे की पूर्व की टिप्पणी कि कल्याण ग्रामीण, मुरबाद और भिवंडी (पड़ोसी ठाणे जिले में) के कुछ मतदाताओं ने उनके निर्वाचन क्षेत्र और (मुंबई के) मलाबार हिल दोनों में मतदान किया था, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शेलार ने दावा किया कि यह इन लोगों द्वारा तुष्टीकरण की पराकाष्ठा है।
 
भाजपा नेता ने पूछा, "सिर्फ मराठी मतदाताओं को ही नकल के लिए क्यों निशाना बनाया जा रहा है?"
 
विपक्षी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के विधायक रोहित पवार के कर्जत-जामखेड विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए शेलार ने कहा, "इमरान कादर बागवान के नाम एक ही मतदाता सूची में दो प्रविष्टियां हैं। यही बात तबस्सुम अब्दुल मुलानी के मामले में भी लागू होती है। राज ठाकरे को ये मामले क्यों नहीं दिखे, सिर्फ पाटिल और भोईर के बारे में ही पता चला? यह चुनिंदा आक्रोश क्यों?"
 
उन्होंने ठाकरे बंधुओं और मविआ नेताओं से आग्रह किया कि उन्हें किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाने के बजाय त्रुटिरहित मतदाता सूची पाने के लिए निर्वाचन आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का समर्थन करना चाहिए।