आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर मऊ क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक अब्बास अंसारी की सदस्यता जानबूझकर छीनने का आरोप लगाया.
यादव ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए अदालत द्वारा दो वर्ष की सजा सुनाए जाने के बाद अंसारी की विधानसभा सदस्यता समाप्त किए जाने संबंधी सवाल के जवाब में कहा, “देखिए, अगर मैं ऐसा कुछ कहूंगा तो मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाएगा. अब्बास अंसारी की सदस्यता (विधानसभा की सदस्यता) जानबूझकर छीनी गई थी. सरकार ने जानबूझकर छीनी थी. अंसारी को नफरत भरा भाषण देने के मामले में सजा सुनाई गयी है.
सपा अध्यक्ष ने कहा, “अगर इन बयानों पर (सदन की) सदस्यता जा सकती है, तो सरकार में बैठे लोग क्या कह रहे हैं? क्या वे मुझे मेरे डीएनए की याद दिलाएंगे? क्या वे समाजवादियों से डीएनए के बारे में पूछेंगे? जिन लोगों ने डीएनए के बारे में कहा है उनकी सदस्यता न्यायाधीशों द्वारा क्यों नहीं छीनी जाती? जो लोग डीएनए पूछ रहे हैं, उनकी सदस्यता क्यों नहीं जा रही है?”
यादव ने मामले में जातिवादी पक्षपात का दावा करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि जाति के आधार पर फैसला लिया जाता है. कभी-कभी फैसला सुनाने के लिए कुछ लोगों को भेजा जाता है और तैनाती दी जाती है. इसलिए हम पहले दिन से ही कह रहे हैं कि संविधान को खतरा है. समाजवादियों की सदस्यता ही जा रही है. भाजपा के लोग जो बयान दे रहे हैं क्या उनकी सदस्यता कभी नहीं जाएगी?”
गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के पुत्र और मऊ से सुभासपा के विधायक अब्बास अंसारी को भड़काऊ भाषण मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य घोषित कर दिया गया है. अंसारी को 31 मई को सांसद-विधायक की विशेष अदालत ने 2022 के भड़काऊ भाषण मामले में सजा सुनाई है.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत किसी सदस्य को दो वर्ष या उससे अधिक की सजा सुनाए जाने पर सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान है. अब्बास अंसारी, 2022 में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के तहत सुभासपा के टिकट पर मऊ सदर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे. सुभासपा वर्तमान में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की सहयोगी है और पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर राज्य में कैबिनेट मंत्री हैं.