छात्रों के आत्महत्या के मामलों ने बढ़ाई चिंता; विशेषज्ञों ने नीतिगत सुधारों की वकालत की

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 22-11-2025
Student suicides raise concerns; experts call for policy reforms
Student suicides raise concerns; experts call for policy reforms

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
 छात्रों के आत्महत्या करने के मामलों को लेकर बढ़ते आक्रोश के बीच विशेषज्ञ ‘‘विद्यालयों को मानसिक स्वास्थ्य के अनुकूल’’ बनाकर सुधार किए जाने की मांग कर रहे हैं जबकि अभिभावक संघ ऐसे मामलों से जुड़े संस्थानों के ‘‘सरकारी अधिग्रहण’’ की मांग कर रहे हैं।
 
विशेषज्ञों एवं अभिभावकों का जोर कुल मिलाकर ऐसे तंत्रगत बदलावों पर है जिनसे युवाओं के आत्महत्या के मामलों को रोका जा सके।
 
कभी ‘‘अगला शाहरुख खान बनने’’ का सपना देखने वाले नयी दिल्ली स्थित एक स्कूल के 10वीं कक्षा के छात्र ने महीनों तक शिक्षकों द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित किए जाने के बाद मंगलवार को राजेन्द्र प्लेस मेट्रो स्टेशन के प्लेटफॉर्म से छलांग लगा दी थी।
 
इस घटना ने देशभर में बहस छेड़ दी है। कुछ लोग विद्यालयों को दोष दे रहे हैं जबकि कुछ अभिभावकों का पक्ष ले रहे हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ नेहा कृपाल का कहना है कि इस तरह का ध्रुवीकरण अनुचित है।
 
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘आत्महत्या की प्रवृत्ति की जिम्मेदारी हम सबकी है’’ जिसमें शिक्षक, अभिभावक, संरक्षक, स्टाफ एवं व्यापक समुदाय सभी शामिल हैं और कोई भी इससे स्वयं को अलग नहीं कर सकता।
 
‘अमाहा हेल्थ एंड इंडिया मेंटल हेल्थ अलायंस’ की सह-संस्थापक नेहा कृपाल ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘पीटीए (शिक्षक अभिभावक संघ) और स्कूल एसोसिएशन को आत्महत्या की प्रवृत्ति से तंत्रगत और रोकथाम के स्तर पर निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। ऐसा बहुत कम होता है कि आत्महत्या करने का विचार अचानक आने पर कोई यह कदम उठाए। ऐसा करने वाले लोग कई चरणों से होकर गुजरते हैं और इन चरणों को मिथकों या धारणाओं के कारण अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘अचानक सदमे के कारण आत्महत्या संबंधी सार्वजनिक विमर्श समाज को जिम्मेदारी से अक्सर मुक्त कर देता है जबकि आमतौर पर इन घटनाओं से पहले चेतावनी के संकेत मौजूद होते हैं। इन संकेतों को समय रहते पहचानना और ऐसी प्रतिक्रिया देना अत्यंत महत्वपूर्ण है जो बच्चे के लिए सुरक्षित एवं मददगार हो।’’
 
पिछले कुछ सप्ताहों में ऐसे कई दर्दनाक मामले सामने आए हैं।
 
दिल्ली की घटना के अलावा मध्य प्रदेश के रीवा में 11वीं कक्षा की 17 वर्षीय छात्रा ने यह आरोप लगाने के बाद आत्महत्या कर ली कि एक पुरुष शिक्षक ने उसके साथ मारपीट की।
 
इस महीने की शुरुआत में जयपुर में नौ वर्षीय बच्ची ने अपने निजी स्कूल की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी थी। कक्षा चार की इस छात्रा को कई महीनों तक स्कूल में कथित तौर पर लगातार प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी जिसमें उसके सहपाठियों द्वारा अपशब्द कहे जाना भी शामिल है।