Powerful groups in Manipur trying to divert attention from the issue of illegal immigrants: Biren Singh
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आरोप लगाया है कि राज्य में अवैध प्रवासियों का मुद्दा एक गंभीर आंतरिक चुनौती के रूप में मौजूद है, लेकिन कुछ शक्तिशाली समूह जानबूझकर इससे ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन समूहों की गतिविधियां न केवल राज्य की सुरक्षा के लिए चुनौती हैं, बल्कि राष्ट्रीय हितों के खिलाफ भी हैं। इसलिए आवश्यक है कि घुसपैठ और अवैध प्रवासन के मूल प्रश्न को किसी भी तरह से दरकिनार न होने दिया जाए।
बीरेन सिंह ने शुक्रवार शाम सामाजिक मंच ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में यह दावा किया कि उनकी अगुवाई वाली राजग सरकार के समय जब उन्होंने पड़ोसी देश से आए अवैध प्रवासियों और शरणार्थियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की थी, तब पड़ोसी राज्यों के कई नेताओं ने इस कदम की निंदा की थी। उनके अनुसार, उस समय कई क्षेत्रों में इसे राजनीतिक विवाद के रूप में देखा गया, लेकिन अब परिस्थितियों ने सभी राज्यों को इस समस्या की वास्तविकता का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया है।
उन्होंने कहा कि आज नगालैंड और मिजोरम सहित सभी पड़ोसी राज्यों ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए कठोर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सिंह का बयान उस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आया है, जिसमें बताया गया कि मिजोरम सरकार ने म्यांमा से आए 31,214 शरणार्थियों में से 58.15 प्रतिशत का बायोमेट्रिक पंजीकरण पूरा कर लिया है। यह पंजीकरण राज्य के 11 जिलों में किया गया है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग महत्वपूर्ण समय से शरण ले रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस प्रक्रिया की तुलना मणिपुर से करते हुए कहा कि मिजोरम अवैध प्रवासियों की पहचान में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जबकि मणिपुर, जिसने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया था, आज जातीय हिंसा की आड़ में इस संवेदनशील मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए दिखाई देता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अवैध प्रवासन के असली कारणों और खतरों को नजरअंदाज किया गया तो राज्य और देश दोनों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
बीरेन सिंह ने शुक्रवार शाम सामाजिक मंच ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में यह दावा किया कि उनकी अगुवाई वाली राजग सरकार के समय जब उन्होंने पड़ोसी देश से आए अवैध प्रवासियों और शरणार्थियों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की थी, तब पड़ोसी राज्यों के कई नेताओं ने इस कदम की निंदा की थी। उनके अनुसार, उस समय कई क्षेत्रों में इसे राजनीतिक विवाद के रूप में देखा गया, लेकिन अब परिस्थितियों ने सभी राज्यों को इस समस्या की वास्तविकता का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया है।
उन्होंने कहा कि आज नगालैंड और मिजोरम सहित सभी पड़ोसी राज्यों ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए कठोर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सिंह का बयान उस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आया है, जिसमें बताया गया कि मिजोरम सरकार ने म्यांमा से आए 31,214 शरणार्थियों में से 58.15 प्रतिशत का बायोमेट्रिक पंजीकरण पूरा कर लिया है। यह पंजीकरण राज्य के 11 जिलों में किया गया है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग महत्वपूर्ण समय से शरण ले रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस प्रक्रिया की तुलना मणिपुर से करते हुए कहा कि मिजोरम अवैध प्रवासियों की पहचान में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जबकि मणिपुर, जिसने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया था, आज जातीय हिंसा की आड़ में इस संवेदनशील मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए दिखाई देता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अवैध प्रवासन के असली कारणों और खतरों को नजरअंदाज किया गया तो राज्य और देश दोनों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।