Sonam Wangchuk was involved in 'activities prejudicial to the security of the state': Leh District Magistrate
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
लेह के जिलाधिकारी ने अपने आदेश का बचाव करते हुए उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ‘‘राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और आवश्यक सेवाओं के लिए हानिकारक गतिविधियों’’ में शामिल थे, जिसके कारण उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया।
लेह के जिलाधिकारी ने शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में इस बात से इनकार किया कि वांगचुक को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था या हिरासत में उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि हिरासत के कारणों और तथ्यों के बारे में उन्हें अवगत करा दिया गया था।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा दिये जाने और इसे छठी अनुसूची में शामिल किये जाने की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दो दिन बाद वांगचुक को 26 सितंबर को रासुका के तहत हिरासत में लिया गया था। इस हिंसक प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गयी और 90 घायल हो गये थे। सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है.