न्यायालय ने यूट्यूब चैनल ‘4पीएम’ को ब्लॉक करने के खिलाफ याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 05-05-2025
SC seeks Centre's response on plea against blocking of YouTube channel '4PM'
SC seeks Centre's response on plea against blocking of YouTube channel '4PM'

 

आवाज द वॉयस /नई दिल्ली

 
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को यूट्यूब चैनल ‘4पीएम’ पर रोक लगाने के आदेश को रद्द करने के अनुरोध वाली वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा.
 
याचिका में दावा किया गया है कि मध्यस्थ ने केंद्र सरकार की ओर से कथित रूप से जारी उस गोपनीय निर्देश के तहत चैनल को ब्लॉक किया है जिसमें "राष्ट्रीय सुरक्षा" और "सार्वजनिक व्यवस्था" के अस्पष्ट आधार का हवाला दिया गया है. न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जतायी और केंद्र तथा अन्य को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा.
 
डिजिटल समाचार मंच '4पीएम' के संपादक संजय शर्मा ने यह याचिका दायर की है. इस मंच पर इसके 73 लाख सब्सक्राइबर हैं. उन्होंने याचिका में आरोप लगाया गया है कि इसे ब्लॉक करना "पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर " और जनता के सूचना प्राप्त करने के अधिकार पर एक भयानक हमला है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि चैनल को ब्लॉक करने से जुड़ा आदेश पारित करने से पहले याचिकाकर्ता को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया.
 
सिब्बल ने कहा, “पूरा चैनल बिना किसी कारण के ब्लॉक कर दिया गया है.” उन्होंने कहा, “मेरे पास केवल मध्यस्थ से मिली जानकारी है.” उन्होंने कहा, “पहली नजर में यह असंवैधानिक है.” पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी. याचिका में संविधान के इस स्थापति सिद्धान्त की ओर ध्यान दिलाया गया कि सुनवाई का अवसर दिए बिना किसी भी विषय-वस्तु को पूरी तरह हटाने की अनुमति नहीं है. इसमें कहा गया है कि 'राष्ट्रीय सुरक्षा' और 'सार्वजनिक व्यवस्था' (के आधार) कार्यपालिका को जांच से बचाने के लिए जादुई तरीका नहीं हैं. इसमें केंद्र को चैनल को ब्लॉक करने के कारणों और रिकॉर्ड (यदि कोई हो) के साथ ब्लॉक करने से जुड़ा आदेश पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
 
इसमें केंद्र को कारणों और रिकॉर्ड के साथ (चैनल को) ब्लॉक करने का आदेश पेश किये जाने के लिये कहने के बाद उक्त आदेश को रद्द करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है. याचिका में सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना तक पहुंच को अवरुद्ध करने की प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियम 2009 के नियम 16 को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. नियम 16 ​​में कहा गया है कि प्राप्त सभी अनुरोधों और शिकायतों तथा उन पर की गई कार्रवाई के संबंध में सख्त गोपनीयता बनाए रखी जाएगी.
 
इसने नियम नौ को निरस्त करने या उसका दायरा सीमित करने का भी आग्रह किया गया है ताकि किसी अंतिम आदेश को पारित करने से पहले, विषय सामग्री के निर्माता को नोटिस देना, सुनवाई का अवसर और अंतरिम आदेश की एक प्रति प्रदान करना अनिवार्य बनाया जा सके. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के यूट्यूब चैनल को कोई स्पष्टीकरण देना का मौका दिए बिना ही ब्लॉक कर दिया गया.
 
इसमें आरोप लगाया गया है कि ब्लॉकिंग नियम 2009 और इसके नियम 8, 9 और 16 संविधान के तहत गारंटीशुदा मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता का अधिकार तथा जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं. इसमें कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों का कानून के तहत यह कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करें कि यूट्यूब चैनलों को मनमाने ढंग से ब्लॉक न किया जाए.