लखनऊ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश के प्रति उनकी सेवाएँ, योगदान और स्मृतियाँ इतिहास का चिरस्मरणीय अध्याय बन चुकी हैं। राष्ट्र उन्हें आधुनिक भारत के शिल्पी के रूप में सदैव स्मरण करता रहेगा।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को विधानसभा मार्ग स्थित सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके व्यक्तित्व, कृतित्व तथा राष्ट्र निर्माण में निभाई गई ऐतिहासिक भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने कहा, “सरदार पटेल का यशस्वी नेतृत्व यदि देश को और लंबे समय तक प्राप्त होता, तो भारत और अधिक सशक्त होता। दुर्भाग्यवश 15 दिसंबर 1950 को उनका नश्वर शरीर साथ छोड़ गया, लेकिन उनके विचार और कार्य आज भी देश का मार्गदर्शन कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामान्य किसान परिवार में जन्मे सरदार पटेल ने कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प के बल पर उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनका उद्देश्य विदेशी शासन की नौकरी करना नहीं था, बल्कि देश-दुनिया को समझकर अपनी प्रतिभा, ऊर्जा और सामर्थ्य भारत माता की सेवा में समर्पित करना था।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरदार पटेल ने स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने अनेक बार जेल की यातनाएँ सहीं, किंतु कभी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। उनका जीवन साहस, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के समय सरदार पटेल ने देश के विभाजन का सशक्त विरोध किया और 567 रियासतों को भारत गणराज्य में शामिल कराने में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि उस समय अंग्रेजों ने ‘टू नेशन थ्योरी’ के तहत रियासतों को भारत में विलय, पाकिस्तान में जाने या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया था।
उन्होंने बताया कि अधिकांश रियासतें भारत में शामिल होने के लिए सहमत थीं, लेकिन जूनागढ़ और हैदराबाद के शासकों ने इससे इनकार कर दिया। सरदार पटेल की दूरदर्शिता, दृढ़ इच्छाशक्ति और रक्तहीन क्रांति के परिणामस्वरूप दोनों रियासतें भारत का अभिन्न अंग बनीं और उनके शासकों को देश छोड़कर भागना पड़ा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी रही। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन नेतृत्व की नीतियों के कारण यह क्षेत्र लंबे समय तक विवाद का केंद्र बना रहा, जिसका दंश देश को दशकों तक झेलना पड़ा।
उन्होंने कहा कि आज देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभारी है, जिन्होंने लौह पुरुष सरदार पटेल और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को साकार करते हुए अनुच्छेद 370 को समाप्त किया और ‘एक देश, एक विधान, एक प्रधान और एक निशान’ के संकल्प को मजबूती प्रदान की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गृह मंत्री के रूप में सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार, विभिन्न राष्ट्रीय विवादों के समाधान हेतु प्रभावी तंत्र विकसित करने तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) को वर्तमान स्वरूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने दोहराया कि सरदार पटेल का नेतृत्व और योगदान देश के लिए अमूल्य धरोहर है और उनकी स्मृतियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के नडियाद में वर्ष 1875 में जन्मे सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई। स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री के रूप में उन्होंने 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय कर राष्ट्रीय एकता की मजबूत नींव रखी। उनका निधन वर्ष 1950 में हुआ था।






.png)