विश्वविद्यालयों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने का विधेयक लोकसभा में पेश

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 15-12-2025
A bill to make universities independent, self-governing institutions has been introduced in the Lok Sabha.
A bill to make universities independent, self-governing institutions has been introduced in the Lok Sabha.

 

नई दिल्ली

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को भारत शिक्षा अधिष्ठान, 2025 विधेयक लोकसभा में पेश किया। यह विधेयक विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

विधेयक पेश होने के दौरान विपक्ष ने तीखी आपत्ति जताई। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और उनके स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर करता है। उनका तर्क था कि इससे राज्य कानून के तहत स्थापित विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता प्रभावित होगी।

आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक के हिंदी नाम पर विरोध जताते हुए कहा कि दक्षिण भारत के सांसद इसे उच्चारित करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इसका नाम अंग्रेजी में होना चाहिए और विधेयक संघवाद की भावना का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि विधेयक की प्रति समय पर सांसदों को उपलब्ध नहीं कराई गई।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि उन्हें विधेयक की प्रति कल देर रात मिली और आज की कार्यसूची में इसे पेश करने का उल्लेख भी नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि संसदीय कार्य मंत्रालय ने उन्हें विधेयक का अध्ययन करने का पर्याप्त समय नहीं दिया। रॉय ने कहा कि संसद राज्य विश्वविद्यालयों को अपने नियंत्रण में नहीं ले सकती और यह विधेयक केंद्र को केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में राज्य विश्वविद्यालयों के कामकाज में हस्तक्षेप की अनुमति देता है।

द्रमुक के टी.वी. सेल्वागणपति ने कहा कि सरकार कानून लाने के लिए हिंदी शब्दावली का उपयोग कर रही है, जबकि नियम ऐसा करने की अनुमति नहीं देता। कांग्रेस की एस. जोतिमणि ने इसे हिंदी थोपने का प्रयास बताया और आरोप लगाया कि यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विधेयक पेश करना संसद की विधायी क्षमता के अधीन है और इसके गुण-दोष पर चर्चा विधेयक की चर्चा के दौरान की जाएगी।

विपक्षी सदस्यों के विरोध और शोरगुल के बीच, धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक को सदन में पेश किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दी थी, जो यूजीसी और AICTE जैसे निकायों की जगह उच्च शिक्षा नियामक निकाय स्थापित करेगा।