ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और रूस के बीच दशकों पुराने सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति का आकर्षण रूस में पीढ़ियों से बना हुआ है। इंडिया टुडे टीवी को दिए एक विशेष इंटरव्यू में पुतिन ने कहा कि रूस के लोगों के लिए भारत आज भी एक “खूबसूरत, चमकदार और रंगीन परियों की कहानी” जैसा है—एक ऐसा देश जिसकी संस्कृति, संगीत और फिल्में वर्षों से रूसी जनता को बांधे हुए हैं।
पुतिन ने याद दिलाया कि सोवियत संघ के जमाने से ही भारतीय फिल्में और गाने रूस में अत्यधिक लोकप्रिय रहे हैं। जब इंटरव्यू के दौरान एंकर ने पुराना बॉलीवुड गीत ‘सर पे लाल टोपी रूसी’ याद किया—जो सोवियत दौर में घर-घर गूंजा करता था—तो पुतिन ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच भावनात्मक पुल का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, “रूस में अनेक लोग भारतीय संस्कृति को एक खूबसूरत और रंगीन परियों की कहानी के रूप में देखते हैं। भारतीय फिल्मों और संगीत का प्रभाव यहां बहुत पुराना है। कुछ प्रसिद्ध रूसी हस्तियां तो भारतीय संस्कृति को एक तरह के ‘कल्ट’ की तरह मानती हैं।”
पुतिन के अनुसार, ऐसे सांस्कृतिक संबंध किसी औपचारिक कूटनीति से कहीं अधिक गहरे होते हैं—यह “दिल से दिल का रिश्ता” है।
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दो दिन की शिखर वार्ता के लिए पहुंचने के कुछ ही घंटे बाद दिए गए इस इंटरव्यू में पुतिन ने geopolitical मुद्दों पर भी खुलकर बात की।
भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ते तनाव—विशेषकर अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ और रूस से खरीदे गए कच्चे तेल पर 25% लेवी—पर पुतिन ने कहा कि रूस और भारत किसी के दबाव में आकर काम नहीं करते।
उन्होंने कहा, “न मैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी, हमने कभी भी अपने सहयोग का उपयोग किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं किया। हर देश का अपना एजेंडा होता है—प्रेसिडेंट ट्रंप का अपना एजेंडा है। हमारा ध्यान भारत और रूस के हितों की रक्षा पर है, किसी के खिलाफ नहीं।”
रूस और भारत के ऊर्जा संबंधों के बारे में पुतिन ने कहा कि कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्ति-केन्द्र भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका से असहज हैं। उनका कहना था कि ऐसे “एक्टर्स” भारत-रूस सहयोग को कमजोर करने के लिए बाजारों में कृत्रिम दबाव और “फ़र्ज़ी रुकावटें” पैदा कर रहे हैं ताकि भारत की वैश्विक ऊर्जा राजनीति में बढ़ती शक्ति को सीमित किया जा सके।
पुतिन ने कहा कि मॉस्को चाहता है कि भारत के लोग यह समझें कि रूस न सिर्फ भारत के साथ खड़ा है, बल्कि वह इस साझेदारी को और मजबूत करना चाहता है।
इंटरव्यू में पुतिन ने जो बात सबसे अधिक स्पष्ट की, वह यह थी कि भारत और रूस के बीच न सिर्फ रणनीतिक या आर्थिक संबंध हैं, बल्कि एक गहरा सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव भी है—जो फिल्मों, संगीत और परंपराओं के जरिए लोगों के दिलों में बसा है।