आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संथाली भाषा में संविधान के विमोचन को ‘‘सराहनीय प्रयास’’ बताया साथ ही कहा कि इससे संविधान के प्रति जागरुकता व लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
मोदी ने शुक्रवार को यह भी कहा कि देश को संथाली संस्कृति और राष्ट्र की प्रगति में संथाली लोगों के योगदान पर गर्व है।
मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘एक सराहनीय प्रयास! संथाली भाषा में संविधान, संविधान के प्रति जागरुकता और लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा देगा।’’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को यहां एक समारोह में संथाली भाषा में भारत के संविधान का विमोचन किया।
संथाली भाषा को वर्ष 2003 के 92वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। यह भारत की प्राचीन भाषाओं में से एक है।
झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार के जनजातीय इलाकों में यह भाषा बोली जाती है।