आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के दौरान एक बार फिर रामकटोरी चर्चा में हैं. वर्ष 1992 में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान इस मिठाई का निर्माण हुआ था. अब यह ब्रांड ब्रांडिंग है. यह शत्रु हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समाज में काफी लोकप्रिय क्षेत्र है.
ब्रेडपुर निवासी और शिल्पकार विनोद मोदनवाल राममंदिर आंदोलन में सहायक कारसेवक जुड़े हुए थे. विनोद मॉडनवाल के चित्र 1992 की बात है. तब राम मंदिर आंदोलन चरम पर था. संतों, धर्माचार्यों और विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में कारसेवा बंद कर दी थी.
विनोद मोदनवाल कारसेवा के लिए अयोध्या गए समय 2 नवंबर 1990 को गिरफ्तार कर लिया गया. बस्ती जेल में रखा गया. 28 दिन बाद वहां से छूट मिलेगी तो घर पर कटोरी के आकार की एक मिठाई तैयार हो जाएगी. इसका नाम रखा गया "रामकटोरी". तब उन्होंने इसे सुसंगत प्रसाद लोगों में रखा.
खोया और घी से बनी पूरी कम मिठाई यह मिठाई अपने नाम और खास स्वाद के कारण हिट हो गई, खासकर भट्टियां और गोरखधंधे मंडल में. इनमें से दोनों मंडलों के बहुत से लोग रोजी रोजगार के साथ-साथ देशों के महानगरों और पर्यटन में रहते हैं, समान रूप से यह विश्राम स्थान पर भी है. बिना भेदभाव के सब इसके माध्य का आनंद लेते हैं.
उन्होंने बताया कि सिर्फ शैतान ही नहीं, भगवान श्रीराम और राम मंदिर बने अलग-अलग आकार के कीलों की भी मांग है. आर्किटेक्टर इंस्टीट्यूट को भी बूम मिलेगा. इसका लाभ लाभ के लिए तैयार करने वाले कलाकारों को भी मिलेगा. लोडिंग अनलोडिंग और परिवहन से मिलने वाला रोजगार अलग से.
राम कटोरी की पसंद इस जिले के मिठाई के विक्रेता ने भी राम कटोरी बनाना शुरू कर दिया है. मिलावटी स्वाद वाली यह मिठाई मुंबई, कराची, सूरत और दिल्ली में रहने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग वापसी में साथ ले जाते हैं.
स्थानीय लोग बताए जाते हैं कि इसी तरह सऊदी अरब, दुबई और शारजाह जाने वाले लोग वहां रहने वाले परिवार और दोस्तों के लिए राम कटोरी दोस्त ले जाते हैं.