अयोध्या
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण को ‘युगांतकारी’ क्षण बताते हुए कहा कि 500 साल पुराना संकल्प अब पूरा हो रहा है और सदियों से चले आ रहे जख्म और दर्द भर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘राम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक मूल्य, एक मर्यादा और एक दिशा हैं। अगर भारत को 2047 तक विकसित बनाना है, अगर समाज को शक्तिशाली बनाना है, तो हमें अपने भीतर राम को जगाना होगा।’’
उन्होंने भगवान राम के आदर्शों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमें अपने भीतर के राम की समीक्षा करनी होगी। इस संकल्प के लिए आज से बेहतर दिन क्या हो सकता है।’’ध्वजारोहण समारोह में प्रधानमंत्री के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अयोध्या एक और ऐतिहासिक क्षण देख रही है और पूरा देश भगवान राम में डूबा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण का यह पल अद्वितीय और अलौकिक है।’’
उन्होंने मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले सभी रामभक्तों, दानदाताओं, श्रमिकों और योजनाकारों को बधाई दी और कहा कि यह मंदिर आस्था के साथ मित्रता, कर्तव्य और सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को भी मजबूत करता है।
प्रधानमंत्री ने 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए समाज की सामूहिक शक्ति की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, ‘‘जब देश का हर व्यक्ति, वर्ग और क्षेत्र सशक्त होगा, तभी संकल्प की सिद्धि संभव होगी।’’
मोदी ने कहा कि यह धर्म ध्वज केवल एक ध्वज नहीं है, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है। भगवा रंग, सूर्यवंश की ख्याति, अंकित ‘ओम’ और कोविदार वृक्ष इस ध्वज के माध्यम से राम राज्य की कीर्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि यह ध्वज सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार रूप है और सत्यमेव जयते का संदेश देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह धर्म ध्वज हमें प्रेरित करेगा कि हम ऐसा समाज बनाएं जहां गरीबी न हो और कोई दुखी न रहे। जो लोग मंदिर नहीं आ पाते, वे दूर से भी इस ध्वज को प्रणाम कर पुण्य पा सकते हैं।’’
मोदी ने राम मंदिर के प्रांगण में स्थित सप्त मंदिरों, माता शबरी और निषाद राज के मंदिरों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये स्थल जनजातीय समाज, मित्रता और सामाजिक सद्भाव के प्रतीक हैं। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि जब भी राम मंदिर आएं, इन मंदिरों के दर्शन अवश्य करें।
प्रधानमंत्री ने राम के आदर्शों का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके वनवास और लौटने पर मर्यादा पुरुषोत्तम बनने की यात्रा में महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज और मां शबरी का मार्गदर्शन और ममता महत्वपूर्ण रही।
उन्होंने कहा, ‘‘आज राम मंदिर का प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्य की चेतना का स्थल बन गया है। यह मंदिर केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव का संदेश भी देता है।’’
समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी समेत देश-प्रदेश के कई संत और गणमान्य नागरिक मौजूद थे। आयोजन का संचालन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने किया।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन राम मंदिर निर्माण की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना को सशक्त बनाने वाले युगांतकारी क्षण के रूप में याद किया जाएगा।