आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
राजनीतिक नेताओं समेत विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने शनिवार को ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की 83 वीं वर्षगांठ के अवसर पर यहां अगस्त क्रांति मैदान में शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
महात्मा गांधी ने नौ अगस्त, 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया जो ब्रिटिश शासन को खत्म करने की दिशा में एक निर्णायक आह्वान था और देश के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था.
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी के साथ गिरगांव चौपाटी पर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और अगस्त क्रांति मैदान तक पैदल गए, जहां उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की.
राकांपा (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में स्वतंत्रता आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
उन्होंने लिखा, ‘‘इसी दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा देकर भारतीयों से अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ने का आह्वान किया था और अन्यायी ब्रिटिश शासन को भारत छोड़ने की कड़ी चेतावनी दी थी.
पवार ने कहा, ‘‘इससे लोगों में असंतोष की लहर भड़क उठी, आंदोलन और तीव्र हो गया तथा स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया.
वरिष्ठ राकांपा नेता और मंत्री छगन भुजबल ने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की.
स्कूली बच्चों सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग ऐतिहासिक मैदान पहुंचे जिसे पहले गोवालिया टैंक के नाम से जाना जाता था। इसी मैदान से आंदोलन शुरू हुआ था.
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘1942 में आज ही के दिन महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का संदेश देते हुए अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया था. अगस्त क्रांति केवल स्वतंत्रता का आह्वान नहीं थी, बल्कि स्वतंत्रता के लिए सभी भारतीयों के सामूहिक संकल्प का दृढ़ निश्चय था.
उन्होंने कहा, ‘‘इस ऐतिहासिक दिवस पर, हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया तथा त्याग, समर्पण और वीरता का परिचय दिया.