आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष समीर कामत ने कहा कि भारतीय सेना की सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ देश की आत्मनिर्भरता, रणनीतिक दूरदर्शिता और स्वदेशी तकनीकी शक्ति की घोषणा थी.
रक्षा उच्च अध्ययन संस्थान (डीआईएटी) के 14वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कामत ने कहा कि पश्चिमी सीमा पर चलाया गया यह बहुआयामी और अत्यंत समन्वित अभियान न केवल सैनिकों के साहस का प्रतीक था, बल्कि उस तकनीकी आधार का भी प्रदर्शन था, जिसने इस मिशन को सफलता दिलाई.
उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर केवल एक मिशन नहीं था, बल्कि यह दुनिया के सामने यह घोषणा थी कि भारत अपने सीमाओं की सुरक्षा स्वदेशी तकनीक के बल पर कर सकता है.
कामत के अनुसार, सेंसर, मानव रहित प्लेटफॉर्म, सुरक्षित संचार, एआई आधारित निर्णय सहायता प्रणाली और सटीक हथियार जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म ने इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई। इसमें तैनात प्रणालियों में आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम, एएडब्ल्यूएनसी एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम और आकाशतीर प्रणाली शामिल थीं—जो सभी भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास तंत्र की देन हैं.
उन्होंने बताया कि डीआईएटी जैसे संस्थानों ने इन तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
गौरतलब है कि भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के बाद की गई कार्रवाई थी। उस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी.