आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार उद्योग की जरूरतों के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण, किफायती और विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करके एक मजबूत विमानन पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रही है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, पटियाला फ्लाइंग क्लब में विमाननन क्षेत्र के अभियंताओं और प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत में मान ने कहा कि आने वाले वर्षों में राज्य विमानन उद्योग के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित होगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार का ध्यान नौकरी मांगने वालों के बजाय नौकरी सृजित करने वालों को तैयार करने पर है।
मान ने कहा कि पटियाला विमानन परिसर में सात करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाला आगामी विमानन संग्रहालय न केवल भारत की विमानन विरासत को संरक्षित करेगा बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा।
मान ने कहा कि पटियाला फ्लाइंग क्लब में इस प्रतिष्ठित संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्रों के साथ यहां संवाद सत्र में आकर उन्हें बेहद खुशी हुई। इस सत्र में 32 प्रशिक्षु पायलट और पटियाला विमान रखरखाव इंजीनियरिंग कॉलेज के 72 छात्र शामिल थे।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘32 प्रशिक्षु पायलट में से अधिकांश अपने परिवार में विमानन क्षेत्र में प्रवेश करने वाली पहली पीढ़ी से हैं। निजी संस्थानों में वाणिज्यिक पायलट बनने के लिए 40 से 45 लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि पटियाला फ्लाइंग क्लब में लगभग 50 प्रतिशत की सब्सिडी है, जिससे शुल्क घटकर 22 से 25 लाख रुपये हो जाता है।’’
फीस में लगभग 20 लाख रुपये की कमी से दुकानदारों, शिक्षकों, किसानों, क्लर्क और अन्य साधारण परिवारों के छात्र अब पायलट बनने का सपना देख सकते हैं।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस अवसर पर नागरिक उड्डयन विभाग की एक नई वेबसाइट भी शुरू की गई। मान ने कहा कि पटियाला राज्य विमानन परिषद, पंजाब का लक्ष्य हर बच्चे को आसमान में ऊंची उड़ान भरने का सपना पूरा करने का अवसर देना है।
उन्होंने कहा कि पटियाला स्थित विमानन संग्रहालय में मिग विमान, दूसरी पीढ़ी के हेलीकॉप्टर, सिमुलेटर और विमानन विरासत का प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ‘पटियाला फ्लाइंग क्लब’ ने दशकों पुरानी उस बाधा को तोड़ दिया है, जहां पायलट बनने का प्रशिक्षण केवल अत्यंत धनी लोगों के लिए ही संभव था।
मान ने बताया कि पंजाब सरकार ‘पटियाला विमान रखरखाव इंजीनियरिंग (एएमई) कॉलेज’ में किफायती तकनीकी शिक्षा प्रदान करती है, जो भारत के सबसे कम खर्चीले एएमई और बी.एससी (ऑनर्स) कार्यक्रम संचालित करता है।
उन्होंने दावा किया कि तीन वर्षीय बी.एससी (ऑनर्स) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा अनुमोदित तीन वर्षीय एएमई कार्यक्रम की कुल लागत केवल तीन लाख रुपये है, जबकि अन्य राज्यों में इसी पाठ्यक्रम की लागत पांच से आठ लाख रुपये है।