पंजाब के मंत्री गोयल ने विशेष सत्र के दौरान बीबीएमबी द्वारा हरियाणा को पानी छोड़े जाने के विरोध में प्रस्ताव पेश किया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 05-05-2025
Punjab minister Goyal moves resolution during special session against release of water by BBMB to Haryana
Punjab minister Goyal moves resolution during special session against release of water by BBMB to Haryana

 

पंजाब
 
पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने सोमवार को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को 8,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी जारी करने के फैसले का कड़ा विरोध किया गया. गोयल ने कहा कि "अतिरिक्त पानी की एक भी बूंद" नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने बीबीएमबी पर "भाजपा की कठपुतली" के रूप में काम करने और अवैध और असंवैधानिक तरीकों से पंजाब के जल अधिकारों को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया. 
 
गोयल ने प्रस्ताव में मुख्य बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि पंजाब ने मानवीय आधार पर हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी दिया है, लेकिन वह अपने हिस्से से कोई अतिरिक्त पानी नहीं देगा. उन्होंने 30 अप्रैल को बीबीएमबी की देर रात की बैठक को "अवैध" और पंजाब के हक का पानी हरियाणा को देने का जानबूझकर किया गया प्रयास करार दिया. गोयल ने कहा, "पानी की उपलब्धता कम होने के कारण 1981 की जल-बंटवारा संधि पुरानी हो चुकी है. एक नई संधि की जरूरत है." मंत्री ने बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 की भी आलोचना की और दावा किया कि यह पंजाब की नदियों पर नियंत्रण को केंद्रीकृत करके राज्य के अधिकारों को खतरे में डालता है. 
 
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार सीधा नियंत्रण चाहती है. पंजाब की नदियों पर इस कब्जे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा." उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा, हरियाणा और बीबीएमबी की "पंजाब के अधिकारों को छीनने" की "साजिश" चल रही है. गोयल ने कहा कि हरियाणा ने 31 मार्च तक अपने आवंटित पानी का हिस्सा पहले ही इस्तेमाल कर लिया है. उन्होंने 8,500 क्यूसेक की मांग को "पंजाब की जमीन की लूट" करार दिया. आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों में पंजाब की 60 प्रतिशत कृषि भूमि तक नहर के पानी की आपूर्ति बढ़ा दी गई है. उन्होंने दावा किया कि यह विकास "भाजपा की आंखों में चुभने वाला" है. 
 
गोयल ने कहा, "पंजाब सरकार ने किसानों को नहर का पानी देना शुरू कर दिया है. अब पंजाब के करीब 60 फीसदी किसानों के खेतों को नहर का पानी मिलता है. पंजाब ने अपनी जल सीमा खत्म होने के बाद भी हरियाणा को 4000 क्यूसेक पानी दिया है. लेकिन हरियाणा इससे ज्यादा पानी की मांग कर रहा है. उन्होंने बीबीएमबी की एक अवैध बैठक बुलाई और हरियाणा को ज्यादा पानी दे दिया." उन्होंने पंजाब के पानी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नंगल डैम का व्यक्तिगत रूप से दौरा करने के लिए मान की प्रशंसा की और उन्हें "पंजाब के अधिकारों का संरक्षक" बताया. गोयल ने खुलासा किया कि पंजाब ने बीबीएमबी के फैसले के खिलाफ कानूनी मामला दायर किया है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य ने ऐतिहासिक रूप से देश को खिलाने के लिए अपनी जमीन और पानी का बलिदान दिया है. 
 
उन्होंने बताया कि पंजाब के हक का 80 फीसदी पानी गैर-तटीय राज्यों को आवंटित किया जाता है और पिछली बाढ़ के दौरान हरियाणा और राजस्थान ने पंजाब द्वारा दिए गए अतिरिक्त पानी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा, "पंजाब ने अपनी जमीन और पानी की कुर्बानी देकर देश को भोजन दिया है. लेकिन आज हमारे पानी को लूटा जा रहा है... पंजाब को मिलने वाले पानी का 80 प्रतिशत हिस्सा गैर-तटवर्ती राज्यों को जाता है. पिछली बार जब नदियों में बाढ़ आई थी और हमने राजस्थान और हरियाणा को पानी देना चाहा था, तो उन्होंने पानी लेने से इनकार कर दिया था. बाढ़ से निपटने के लिए हम दूसरे राज्यों से पानी ले रहे हैं." 
 
विशेष सत्र के दौरान यह प्रस्ताव 2 मई को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक के बाद आया है, जिसमें राज्य के जल अधिकारों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. बैठक के दौरान सभी दलों ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त 8,500 क्यूसेक पानी जारी करने के फैसले के खिलाफ एकजुटता दिखाई और कहा कि पंजाबियों को पंजाब के पानी की हर बूंद पर हक है और किसी को भी इसे छीनने की इजाजत नहीं दी जाएगी.