पोर्ट ऑफ स्पेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद को संबोधित करते हुए कहा कि आज विकासशील देशों की आवाज़ वैश्विक मंचों पर उतनी प्रभावशाली नहीं है जितनी होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपने साझेदार देशों के साथ मिलकर ‘ग्लोबल साउथ’ को “सही मंच” पर उसका “उचित स्थान” दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारी साझेदारियां सम्मान और बिना किसी शर्तों पर आधारित हैं।” उन्होंने यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से भारत और चीन की वैश्विक भूमिका के अंतर को रेखांकित करते हुए की।
मोदी ने अपने संबोधन में आतंकवाद को “मानवता का दुश्मन” करार देते हुए कहा कि ग्लोबल समुदाय को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ कठोर रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि त्रिनिदाद की संसद ‘रेड हाउस’ भी आतंकवाद की विभीषिका का गवाह रह चुका है।
उन्होंने बताया कि भारत ने G-20 की अध्यक्षता के दौरान ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को वैश्विक निर्णय प्रक्रिया के केंद्र में लाने का प्रयास किया।
भू-राजनीतिक बदलावों का उल्लेख
मोदी ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं — राजनीति और सत्ता की प्रकृति में बदलाव, और बढ़ते विभाजन, विवाद तथा असमानताएं नई चुनौतियां खड़ी कर रही हैं। उन्होंने कहा,
“मुक्त व्यापार दबाव में है, और दुनिया जलवायु परिवर्तन, खाद्य, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा जैसी चुनौतियों से जूझ रही है।”
‘ग्लोबल साउथ’ के लिए नया दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री ने कहा कि “पुरानी वैश्विक संस्थाएं” अब शांति और प्रगति लाने में अक्षम साबित हो रही हैं। ऐसे में ‘ग्लोबल साउथ’ एक नई, न्यायसंगत विश्व व्यवस्था की आकांक्षा रखता है।
उन्होंने कहा:
“जब संयुक्त राष्ट्र ने 75 वर्ष पूरे किए थे, तब विकासशील देशों को आशा थी कि लंबे समय से लंबित सुधार होंगे, लेकिन वह आशा धीरे-धीरे निराशा में बदल गई।”
भारत का दृष्टिकोण: समावेशी विकास
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के विकास मॉडल पर बात करते हुए कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, और उसका विकास जन-केंद्रित और समावेशी है।
उन्होंने कहा:“हम अपने विकास को केवल अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं मानते, बल्कि दूसरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के रूप में भी देखते हैं। और हमारी प्राथमिकता हमेशा ‘ग्लोबल साउथ’ रही है।”
महासागर नीति और त्रिनिदाद के साथ सहयोग
प्रधानमंत्री ने भारत की SAGAR (Security and Growth for All in the Region) नीति को ग्लोबल साउथ के लिए एक मार्गदर्शक मॉडल बताया और जलवायु न्याय सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में त्रिनिदाद एवं टोबैगो भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार है।
आतंकवाद पर सख्त रुख
मोदी ने वैश्विक समुदाय से अपील की कि आतंकवाद को “कोई शरण या जगह” नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में त्रिनिदाद एवं टोबैगो की सरकार और जनता के सहयोग का सम्मान करता है।
क्या है ‘ग्लोबल साउथ’?
‘ग्लोबल साउथ’ उन देशों को संदर्भित करता है जो अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में स्थित हैं और जिन्हें तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से विकासशील माना जाता है।
प्रधानमंत्री का यह संबोधन सिर्फ भारत-त्रिनिदाद संबंधों को ही नहीं, बल्कि विश्व राजनीति में भारत की भूमिका और दृष्टिकोण को भी दर्शाता है — एक ऐसा भारत जो न्याय, समानता और साझेदारी पर आधारित विश्व व्यवस्था की अगुवाई करने को तैयार है।