महामहिम की जन्मभूमिः गांव के दोस्तों में छाया जोश

Story by  संदेश तिवारी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
परौंख में हर्ष
परौंख में हर्ष

 

सन्देश तिवारी / कानपुर 

देश के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद 27 जून को कानुपर देहात के अपने पैतृक गांव परौंख में पधारने वाले हैं. ग्रामवासी इस बात से फूले नहीं समा रहे कि उनके गांव का ‘लल्ला’, अब जो महामहिम हैं, गांव का दौरा करेंगे. अफसरों को भी पंख लग गए हैं. गांव को चमकाने के लिए बड़े पैमाने पर कवायद चल रही है. नाली, सड़क, खड़ंजा, बिजली-पानी और साफ-सफाई के लिए दिन-रात सौंदर्यीकरण कार्य चल रहा है.

महामहिम रामनाथ कोविंद का पैतृक गांव कानपुर देहात की डेरापुर तहसील में स्थित परौंख है.

इसी गांव में राष्ट्रपति कोविंद का जन्म हुआ. हालांकि गांव में राष्ट्रपति कोविंद न तो पैतृक मकान है और न ही उनके परिजन अब यहां रहते हैं. परिजन अब कानपुर में रहते हैं.

विशेष ट्रेन से राष्ट्रपति कानपुर पहुंच गए हैं. उन्होंने 26 जून को कानपुर में अपने परिजनों और परिचितों से मेल-मुलाकात की. 27 जून को उनके परौंख में हैलीकॉप्टर द्वारा आने का शेड्यूल है. 

शासन का चकाचक अभियान

कभी जिस गांव में अफसर भी आने से कतराते थे, उस गांव में अब राष्ट्रपति पधारने वाले हैं. सुरक्षा एजेंसियों और सरकारी अमले ने यहां छावनी बना रखी है.

विकास कार्यों की गति जांचने-परखने के लिए एक के बाद एक छोटे-बड़े तथा और बड़े अफसरों के काफिले पहुंच रहे हैं.

जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह और सीडीओ सौम्या पाण्डे ने भी यहां चल रहे कार्यों का जायजा लिया है.

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राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद के साथ उनके बाल सखा और ग्रामीण

गांव में अफसर दिनों का काम घंटों में निपटाने के चक्कर में सरकारी मुलाजिमों को दिशा-निर्देश दे रहे हैं. अब काउंट डाउन में चंद घंटे ही शेष रह गए हैं और निश्चित समय में ही गांव की तस्वीर बदलने की कोशिश हो रही है.

स्वास्थ्य उप केन्द्र और सरकारी स्कूल के सौंदर्यीकरण का कार्य अपने अंतिम चरण में है. सोलर केंद्र का उन्नयन किया जा रहा है.

बिजली कर्मचारियों ने पुराने जर्जर तारों की जगह नए तार तान दिए हैं. गांव के तालाब का उन्नयन किया जा रहा है. जल निगम ने पानी की टंकी विकसित की है.

गांव के प्रवेश द्वार और सड़कों से गंदगी हटाई जा रही है. नालों की सफाई चल रही है. सरकारी भवनों की मरम्मत और रंगाई-पुताई भी चल रही है. मच्छर-मार दवाई भी छिड़की जा रही है.

कई दिनों से यहां लोगों को कोरोना की वैक्सीन भी लगाई जा रही है.

बस महामहिम के आने की धूम

हर तरफ, गली-मोहल्लों, नुक्कड़ और चौपाल पर महामहिम के आने की चर्चा है.

गांव के हर मकान में दिवाली की तरह रंगाई-पुताई चल रही है. प्रशासन सार्वजनिक स्थानों का सौंदर्यीकरण कर रहा है, तो गांव वाले अपने घरों की सज्जा कर रहे हैं.

सबका मंसूबा है कि वे राष्ट्रपति से मिलेंगे, बतियाएंगे और अपनी समस्याएं रखेंगे.

विकास की आशा

राष्ट्रपति कोविंद के भतीजे पंकज कोविंद ने बताया कि राष्ट्रपति बनने के बाद उनके चाचा रामनाथ कोविंद चार साल बाद गांव आ रहे हैं. इससे लोगों में खुशी है. गांव में विकास कार्य चल रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे. उन्होंने बताया कि चाचा कोविंद का गांव और गहरा लगाव है. वे फोन पर गांव का हाल-चाल लेते रहते थे.

एक अन्य भतीजे दीपक कोविंद ने कहा कि उनके आने से कई समस्याएं दूर हो गई हैं. गांव वाले जो भी समस्याएं उन्हें बताएंगे, उनका चाचा जी निराकरण करवा देंगे. गांव के लोग उनसे मिलने के लिए राष्ट्रपति भवन जाते रहते हैं.

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राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद के परिवारजन 

राष्ट्रपति कोविन्द के बाल सखा और पड़ोसी विजय पाल भदौरिया प्रफुल्लित होकर बताते हैं कि गांव के सब लोग उनके यहां आगमन से खुश हैं. लोग चाहते हैं कि वे यहां जल्दी हैं. उम्मीद है कि गांव के साथ इलाके की भी सूरत बदलेगी.

भदौरिया ने बताया कि वे महामहिम से गांव में डिग्री कॉलेज खुलवाने की बात करेंगे, क्योंकि इलाके में डिग्री कॉलेज न होने के कारण बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.

ग्राम प्रधान संग्राम सिंह को भी उम्मीद है कि गांव का पिछड़ापन दूर होगा और मूलभूत सुविधाओं का स्तर सुधरेगा.  

गांव के पूर्व प्रधान बलवान सिंह ने बताया कि 70गलियों का एस्टीमेट अधिकारियों के पास लंबित है, उस पर राष्ट्रपति से चर्चा करेंगे.

पथरीदेवी मंदिर का जीर्णोद्धार

गांव में माता पथरीदेवी मंदिर मंदिर है. इस मंदिर की राष्ट्रपति के दिवंगत पिता मैकूलाल ने आधारशिला रखी थी. राष्ट्रपति के परिवार के अलावा गांव के अन्य लोगों की भी माता में आस्था.

राष्ट्रपति कोविंद प्रवास के दौरान माता मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे. वे गांव में प्रस्तावित अन्य कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगे.

सादा जीवन-उच्च विचार

राष्ट्रपति के परिचितों ने बताया कि रामनाथ कोविंद आज देश के राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन वे बहुत ही सहज और सरल स्वभाव के हैं. सादा जीवन-उच्च विचार. सादा भोजन करते हैं और मिठाई से उन्हें परहेज है.

परौंख के बाद राष्ट्रपति अपने बालसखा सतीश मिश्रा से मिलने पुखरायां भी जाएंगे. सतीश मिश्रा बचपन में बिताए क्षणों को याद करते हुए कहते हैं, उन्हें राष्ट्रपति कोविंद पर गर्व है.