नई दिल्ली
इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के प्रमुख एयर मार्शल अशुतोष दीक्षित ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई संयुक्त रक्षा गतिविधियां भारत के भविष्य के थिएटर कमांड्स की कार्यप्रणाली का केवल एक “झलक” थीं। उन्होंने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एनआई की नेशनल सिक्योरिटी समिट में यह जानकारी दी।
एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि थिएटराइजेशन भारत की सबसे महत्वपूर्ण रक्षा सुधार पहल होगी। इसका उद्देश्य बल विकास (Force Development) और बल अनुप्रयोग (Force Application) के बीच स्पष्ट विभाजन करना है। बल विकास की जिम्मेदारी सेवा मुख्यालयों की होगी, जबकि बल अनुप्रयोग थिएटर कमांडर के अंतर्गत आएगा।
उन्होंने आधुनिक युद्ध के मल्टी-डोमेन स्वरूप पर जोर दिया, जिसमें साइबर, स्पेस और कॉग्निटिव युद्ध शामिल हैं। इन सभी को थिएटर कॉन्सेप्ट के तहत समेकित करना आवश्यक है। दीक्षित ने कहा, “आईएएफ अपने डोमेन में ऑपरेशन करेगा, लेकिन भूमि, नौसेना और साइबर डोमेन के साथ संचालन और अधिक समेकित होगा। हर मिशन का प्रभाव पहले से ज्यादा होगा।”
ऑपरेशन सिंदूर के उदाहरण को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि सीडीएस और तीनों सेवा प्रमुखों का संयुक्त संचालन थिएटर कमांड्स की वास्तविक क्षमता का प्रारंभिक संकेत था। थिएटर ऑप्स रूम के जरिए सभी जानकारी केंद्रीकृत होगी और थिएटर कमांडर उसी आधार पर निर्णय ले सकेगा।
एयर मार्शल ने भविष्य के युद्धों में असिमेट्री (Asymmetry) बनाने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने 1971 के तांगैल पैराड्रॉप का उदाहरण देते हुए कहा कि भविष्य में असिमेट्री नई डोमेन्स और बेहतर एकीकरण के माध्यम से आएगी।