गुरुग्राम
संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा है कि वे सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न न करें, क्योंकि लोकतंत्र की मजबूती सुचारू और सार्थक संवाद से ही संभव है। उन्होंने दो टूक कहा कि जो दल संसद में गतिरोध उत्पन्न करने की कोशिश करेंगे, उन्हें जनता की अदालत में जवाब देना होगा।
गुरुवार को गुरुग्राम के मानेसर में आयोजित शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बिरला ने कहा कि 18वीं लोकसभा में पूर्ववर्ती लोकसभाओं की तुलना में व्यवधान में कमी आई है। इसका श्रेय उन्होंने इस सोच को दिया कि “सदन को चलना चाहिए और जनहित के मुद्दों पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए।”
बिरला ने बताया कि 2014 में पहली बार लोकसभा पहुंचे थे और तब सदस्यों को तख्तियों के साथ विरोध प्रदर्शन करते देखा। उन्होंने कहा, "17वीं लोकसभा तक हालात बदले नहीं थे, लेकिन 18वीं लोकसभा में राजनीतिक दलों में सकारात्मक सोच दिखाई दे रही है।"
उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि संसद और विधानसभाओं के साथ-साथ स्थानीय निकायों के सदनों को भी व्यवस्थित तरीके से संचालित किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि स्थानीय निकायों में भी प्रश्नकाल, शून्यकाल और विस्तृत बजट चर्चा जैसी व्यवस्थाएं होनी चाहिए, ताकि वे लोकतंत्र की मजबूत आधारशिला बनें।
इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण और कई गणमान्य नेता उपस्थित रहे। सम्मेलन का विषय था:
“संवैधानिक लोकतंत्र को सुदृढ़ करने और राष्ट्र निर्माण में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका।”
बिरला ने जोर देते हुए कहा कि नगरपालिकाएं जन संवाद की सबसे प्रभावी इकाई हैं, इसलिए इनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को स्थानीय जनता की समस्याओं से सीधे जुड़ना चाहिए और सोशल मीडिया जैसे माध्यमों का बेहतर उपयोग करना चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के सपनों को पूरा करने में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका निर्णायक होगी। उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक का उल्लेख करते हुए कहा कि जैसे लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण सुनिश्चित किया गया है, उसी तरह स्थानीय निकायों में भी महिला नेतृत्व को बढ़ावा देना समय की मांग है।
बिरला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छता अभियान का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह स्वच्छता एक जन आंदोलन बनी, वैसे ही शहरी शासन से जुड़े अन्य मुद्दों को भी जनता के व्यापक सहयोग से हल किया जाना चाहिए।
अंत में, उन्होंने सम्मेलन को लोकतंत्र को मजबूत करने के एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में परिभाषित किया और आह्वान किया कि सभी निर्वाचित प्रतिनिधि विकासशील भारत की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएं।