Jammu: अब माता वैष्णो देवी के भक्तों को प्रसाद के रूप में मिलेंगें पौधे

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 17-05-2024
Now devotees of Mata Vaishno Devi will get plants as Prasad.
Now devotees of Mata Vaishno Devi will get plants as Prasad.

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 

जम्मू-कश्मीर राज्य के जम्मू जिले के कटरा में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर भारत का शीर्ष तीर्थस्थल है जो 5,200 फ़ीट की ऊंचाई पर कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है. 
 
वैष्णो माता जिसको भी अपने दर पर बुलाती है खाली नहीं लौटाती, लेकिन अब नारियल और मेवा के प्रसाद के साथ श्री माता वैष्णो देवी के भक्तों को प्रसाद स्वरूप पौधे भी दिए जायंगें.
 
जी हाँ श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड मंदिर में आने वाले भक्तों को अब प्रसाद के रूप में पौधे देने जा रहा है. पवित्र मंदिर के आधार शिविर, निहारिका कॉम्प्लेक्स कटरा में एक हाई-टेक आउटलेट की योजना बनाई गई है. जिसके तहत माता वैष्णो के दर्शन के बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में पौधे भी दिए जायंगें. 
 
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए समाधान खोजने के साथ धार्मिक स्थलों को जोड़ने के पहले ऐसे कदम में, श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड (एसएमवीडीएसबी) आने वाले भक्तों को 'प्रसाद' (पवित्र भोजन) के रूप में पौधे प्रदान करेगा. 
 
इसके लिए, एसएमवीडीएसबी पवित्र मंदिर के आधार शिविर कटरा में एक हाई-टेक आउटलेट स्थापित कर रहा है.
 
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित, वैष्णो देवी को सबसे प्रतिष्ठित मंदिर माना जाता है, जहां एक वर्ष में औसतन लगभग 10 मिलियन लोग माथा टेकते हैं.
 
श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि इस पहल के पीछे का विचार लोगों को अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना और पृथ्वी ग्रह को जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से बचाना है. यह पौधा देवी के आशीर्वाद के रूप में भी कार्य करता है और इसे पवित्र तीर्थयात्रा की जीवंत स्मृति चिन्ह के रूप में माना जाता है.
 
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सहायक वन संरक्षक विनी खजूरिया ने कहा कि अगले कुछ दिनों में, बोर्ड औपचारिक रूप से वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों को 'पार्शद' के रूप में पौधों की पेशकश शुरू करने जा रहा है.
 
उन्होंने बताया कि पवित्र मंदिर के आधार शिविर कटरा में नाहिरिका परिसर में एक हाई-टेक आउटलेट की योजना बनाई गई है, जहां से भक्त माता रानी के आशीर्वाद के रूप में पौधे ले जा सकते हैं.
 
खजूरिया ने कहा कि स्वदेशी पौधों को रियासी में कटरा के पास पैंथल क्षेत्र के कुनिया गांव में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड (एसएमवीडीएसबी) द्वारा स्थापित एक उच्च तकनीक नर्सरी से लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि नर्सरी पौधों की स्वदेशी प्रजातियों का पालन कर रही है जो स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं, लेकिन बेहतर परिवहन और प्रत्यारोपण के लिए भी उत्तरोत्तर प्रयास कर रही हैं.
 
तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं में लगातार सुधार के अलावा, बोर्ड लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दे रहा है. उन्होंने आगे बताया कि बोर्ड पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित कर रहा है.
 
उन्होंने कहा, "बोर्ड ने तीर्थ क्षेत्र में विभिन्न देशी प्रजातियों के पौधों, लताओं, मिट्टी को बांधने वाले पौधों और फूलों के पौधों का बड़े पैमाने पर रोपण भी किया है." लोगों ने नए कॉन्सेप्ट को लेकर अपनी खुशी और उत्साह भी जाहिर किया. एक भक्त ने कहा, "शादियों, जन्मदिनों और विदाई के दौरान 'उपहार' के रूप में पौधे पहले से ही चलन में हैं, लेकिन 'पार्षद' के रूप में पौधा लगाना अनोखा है."
 
जाहिर तौर पर इस अनोखी पहल से क्षेत्र में हरियाली का वास होगा और भक्त भी अपने घर जाकर पौधरोपण कर स्वच्छ भारत में अपना योगदान देंगें.
 
 
गौरतलब है कि श्री माता वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या में वर्ष 2023 में 7,00000 से अधिक की उल्लेखनीय वृद्धि हुई. देश भर के साथ-साथ विदेशों से भी कुल 9728712 लोग श्री माता वैष्णो देवी मंदिर में माथा टेकने पहुंचे.
 
 
 

 
माता वैष्णों देवी की कहानी और मान्यता 
उत्तर भारत मे माँ वैष्णो देवी सबसे प्रसिद्ध सिद्धपीठ है. यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है. मां वैष्णों देवी की महिमा अपार है, कहते हैं मां के दर से कोई खाली नहीं जाता है. इस धार्मिक स्थल की आराध्य देवी, वैष्णो देवी को माता रानी, वैष्णवी, दुर्गा तथा शेरावाली माता जैसे अनेक नामो से भी जाना जाता है. 
 
यहा पर आदिशक्ति स्वरूप महालक्ष्मी, महाकाली तथा महासरस्वती पिंडी रूप मे त्रेता युग से एक गुफा मे विराजमान है और माता वैष्णो देवी स्वयं यहा पर अपने शाश्वत निराकार रूप मे विराजमान है. 
 
वेद पुराणो के हिसाब से ये मंदिर 108 शक्ति पीठ मे भी शामिल है. यहा पर लोग 14 किमी की चढ़ाई करके भवन तक पहुँचते है. प्रतिवर्ष, लाखों तीर्थ यात्री, इस मंदिर का दर्शन करते हैं. मंदिर, 5,200 फ़ीट की ऊंचाई पर, कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है.
 
जंबू वर्तमान जम्मू का प्राचीन नाम है. मान्यता है कि पवित्र गुफा में देवी के मूल उपासक पांडव थे. संभवतः पांडवों का प्रतिनिधित्व करने वाली पांच पत्थर की आकृतियाँ पास की पर्वत श्रृंखला में पाई गईं, जो वैष्णो देवी मंदिर से पांडवों के संबंध को कुछ हद तक विश्वसनीयता प्रदान करती हैं.