निमिषा प्रिया केस: भारत की कोशिशों से यमन में टली फांसी, ग्रैंड मुफ्ती ने निभाई बड़ी भूमिका

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 15-07-2025
Nimisha Priya case: Hanging postponed in Yemen due to India's efforts, Grand Mufti played a big role
Nimisha Priya case: Hanging postponed in Yemen due to India's efforts, Grand Mufti played a big role

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

भारत की एक नर्स, निमिषा प्रिया, की फांसी को लेकर चल रही चिंता के बीच आज एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। यमन की विशेष आपराधिक अदालत ने उनके खिलाफ होने वाली निर्धारित फांसी की सज़ा को टाल दिया है। यह फैसला भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबक्र अहमद की सक्रिय और भावनात्मक पहल के बाद आया है.
 
इस संबंध में जारी एक आधिकारिक बयान में शेख अबूबक्र अहमद ने कहा कि केरल के पुथुपल्ली से विधायक चांडी ओम्मन ने बीते शुक्रवार उनसे मिलकर यह अपील की थी कि वे निमिषा प्रिया के मामले में हस्तक्षेप करें. विधायक का मानना था कि शेख साहब के यमन के सूफी विद्वानों से घनिष्ठ संबंध हैं और उनकी पहल से मानवीय रास्ता निकल सकता है.
 
यमन में सक्रिय हस्तक्षेप

शेख अबूबक्र अहमद ने तुरंत तरिम, यमन के प्रसिद्ध सूफी विद्वान हबीब उमर बिन हफीज से संपर्क किया, जिनका यमन में व्यापक प्रभाव है. हबीब उमर ने इस मामले में तुरंत रुचि दिखाई और यमन के उत्तर भाग में न्यायिक एवं सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू की.
 
हबीब उमर के सुझाव पर धमार, उत्तर यमन में एक आपात बैठक हुई, जिसमें पीड़ित युवक तलाल के भाई, स्थानीय जनजातीय नेता, यमनी सरकार के अधिकारी, और क्रिमिनल कोर्ट के सुप्रीम जज मौजूद रहे। बैठक में तलाल के परिवार ने कहा कि वे और चर्चा कर स्पष्ट रुख पेश करेंगे.
 
अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि

आज का दिन बेहद निर्णायक रहा. पीड़ित परिवार और उनके सलाहकारों के साथ वार्ताएं हुईं। हबीब अब्दुर्रहमान मशहूर की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल धमार में तैनात है जो परिवार को एक मत पर लाने की कोशिश में जुटा है। इसी क्रम में जस्टिस मोहम्मद बिन अमीन, जो मृतक के रिश्तेदार और यमनी शूरा काउंसिल के सदस्य भी हैं, ने हस्तक्षेप किया और परिवार को फांसी रुकवाने की अपील करने के लिए राज़ी किया.
 
यमन की विशेष आपराधिक अदालत ने कल (14 जुलाई) को इस पर निर्णय लिया और जज रिजवान अहमद अल-वाजरी तथा स्वारी मुदीन मुफद्दल के हस्ताक्षर वाले आदेश में कहा गया कि 16 जुलाई को होने वाली फांसी स्थगित की जाती है.
 
प्रधानमंत्री कार्यालय को दी गई जानकारी

ग्रैंड मुफ्ती ने बताया कि अब तक जो कुछ भी हासिल किया गया है, वह सभी के सामूहिक प्रयासों और दुआओं का नतीजा है। इस प्रगति की आधिकारिक जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय को भी दे दी गई है.
 
मामला क्यों है संवेदनशील?

यह मामला यमन के उत्तर भाग की जनजातीय व्यवस्था के बीच अत्यंत संवेदनशील और भावनात्मक माना जा रहा था। अब तक मृतक के परिवार से संपर्क भी नहीं हो पाया था. लेकिन अब संवाद स्थापित हुआ है और यमन की न्याय प्रणाली के प्रमुख लोग इसमें शामिल हुए हैं, जिससे एक नई उम्मीद जगी है.
 
हालांकि फांसी पर रोक एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अंतिम राहत के लिए तलाल के परिवार की क्षमा और कानूनी सहमति जरूरी होगी। इसके लिए प्रयास जारी रहेंगे. यह मामला न केवल कूटनीतिक स्तर पर बल्कि धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता के साथ भारत द्वारा एक नागरिक की जान बचाने की एक मिसाल बन रहा है.