नई दिल्ली
सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि उपराष्ट्रपति का रिक्त पद "जितनी जल्दी हो सके" भरा जाएगा, क्योंकि संवैधानिक प्रावधानों में इसके लिए कोई तय समयसीमा नहीं है।
सूत्रों ने यह भी कहा कि जगदीप धांखड़ के लिए कोई विदाई भाषण नहीं होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। धांखड़ ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था।
सूत्रों के अनुसार, उपराष्ट्रपति का आधिकारिक आवास ‘वाइस प्रेसीडेंट एन्क्लेव’ खाली करने के बाद धांखड़ को लुटियंस दिल्ली में एक सरकारी बंगला आवंटित किया जाएगा। उनकी सुरक्षा व्यवस्था मौजूदा प्रोटोकॉल के अनुसार जारी रहेगी।
एक सूत्र ने कहा, "संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, उपराष्ट्रपति का रिक्त पद जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए।"
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। राज्यसभा में एक उपसभापति और उपसभापतियों का पैनल होता है, जो कार्यवाही का संचालन करते हैं।
धांखड़ ने सोमवार शाम को अपने पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि वे "स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने" के लिए यह निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा:"स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं। यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67 (a) के तहत है।"
धांखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अटल समर्थन और सुखद कार्य संबंधों के लिए गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद का भी आभार जताया और कहा, "प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है, और मैंने अपने कार्यकाल में उनसे बहुत कुछ सीखा है।"
राज्यसभा में मंगलवार को भाजपा सांसद और उपसभापतियों के पैनल के सदस्य घनश्याम तिवारी ने धांखड़ के इस्तीफे की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने कहा,"गृह मंत्रालय ने अपने अधिसूचना के माध्यम से उपराष्ट्रपति जगदीप धांखड़ के इस्तीफे की जानकारी संविधान के अनुच्छेद 67 (a) के तहत तत्काल प्रभाव से दी है।"
विपक्षी नेताओं ने धांखड़ के इस निर्णय पर आश्चर्य जताते हुए कहा है कि "इसके पीछे कहीं न कहीं गहरे कारण हैं।"
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के निर्वाचन मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (सीक्रेट बैलेट) से किया जाता है।
अगर उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा हो रहा हो, तो कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही चुनाव करवा लिया जाता है। लेकिन अगर मृत्यु, इस्तीफा या पद से हटाने जैसी स्थिति में पद खाली होता है, तो चुनाव "जितनी जल्दी हो सके" कराए जाते हैं।जो व्यक्ति चुना जाता है, वह अपने पद पर पांच वर्षों की पूर्ण अवधि के लिए कार्य करता है।