रायपुर (छत्तीसगढ़)
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि राज्य सरकार की निरंतर अपील और प्रभावी पुनर्वास नीति के चलते अब तक 2,000 से अधिक माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट चुके हैं। उन्होंने माओवादियों से एक बार फिर बंदूक और हिंसा की भाषा त्यागकर विकास की राह अपनाने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा, “हमने बार-बार माओवादियों से अपील की है कि वे हिंसा और हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में आएं। सरकार उनके साथ निष्पक्ष व्यवहार करेगी। इसके सकारात्मक परिणाम अब साफ दिख रहे हैं। हमारी पुनर्वास नीति मजबूत है और आज 2,000 से ज्यादा माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। सरकार उनके भविष्य को लेकर गंभीर है और उनके कल्याण के लिए काम कर रही है।”
विष्णु देव साय ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले पूर्व माओवादियों को कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसके साथ ही सरकार उन्हें हर महीने 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता भी दे रही है। नई पुनर्वास नीति के तहत खेती के लिए जमीन देने का प्रावधान है, जबकि शहरी इलाकों में घर बनाने के लिए भी भूमि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री के अनुसार, यह नीति सिर्फ आत्मसमर्पण तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन देने की दिशा में एक ठोस कदम है।
इससे पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 34 नक्सलियों ने सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण किया था। पुलिस के मुताबिक, इन आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों पर कुल 84 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण राज्य सरकार की विशेष पहल ‘पूना मार्गम: पुनर्वास से पुनर्जीवन’ के तहत हुआ है, जिसका उद्देश्य पूर्व उग्रवादियों को समाज में फिर से स्थापित करना और कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ना है।
अधिकारियों का कहना है कि यह घटनाक्रम लगातार चल रही नक्सल विरोधी रणनीति और भरोसा बढ़ाने वाले प्रयासों का परिणाम है। राज्य में सुरक्षा कार्रवाई के साथ-साथ संवाद और पुनर्वास पर समान रूप से जोर दिया जा रहा है, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में माहौल बदल रहा है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है। छत्तीसगढ़ में बढ़ते आत्मसमर्पण को इस दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।






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