शिल्पा शेट्टी की मॉर्फ्ड तस्वीरों पर बॉम्बे हाई कोर्ट सख्त: ‘बेहद परेशान करने वाला

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 27-12-2025
Bombay High Court takes a strong stance on Shilpa Shetty's morphed pictures: 'Extremely disturbing'
Bombay High Court takes a strong stance on Shilpa Shetty's morphed pictures: 'Extremely disturbing'

 

मुंबई 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी की एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से तैयार की गई और मॉर्फ्ड तस्वीरों व वीडियो को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे “बेहद परेशान करने वाला और चौंकाने वाला” करार दिया है। अदालत ने कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और वेबसाइट्स को निर्देश दिया कि वे ऐसे सभी लिंक और सामग्री को तत्काल प्रभाव से हटाएं और डिलीट करें।

अभिनेत्री ने अपनी पर्सनैलिटी राइट्स (व्यक्तित्व अधिकार) की सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि कुछ वेबसाइट्स और एआई टूल्स की मदद से उनकी बिना अनुमति आवाज़, हाव-भाव और तस्वीरों का क्लोन बनाकर आपत्तिजनक सामग्री, वीडियो, किताबें और अन्य मर्चेंडाइज़ तैयार की गईं और ऑनलाइन प्रसारित की गईं।

न्यायमूर्ति आद्वैत सेठना की अवकाशकालीन पीठ ने आदेश में कहा कि वेबसाइट्स पर अपलोड की गई सामग्री प्रथम दृष्टया बेहद आपत्तिजनक है। अदालत ने स्पष्ट किया कि “किसी भी व्यक्ति—विशेषकर किसी महिला—को उसकी जानकारी या सहमति के बिना इस तरह पेश नहीं किया जा सकता, जिससे उसके मौलिक निजता के अधिकार का उल्लंघन हो।”

याचिका में शिल्पा शेट्टी ने सभी संबंधित वेबसाइट्स के खिलाफ निषेधाज्ञा (इंजंक्शन) की मांग की थी, ताकि उनकी तस्वीर, नाम, आवाज़ या छवि का भविष्य में बिना अनुमति उपयोग न किया जा सके। अभिनेत्री ने अदालत के समक्ष ऐसे कई स्क्रीनशॉट और लिंक प्रस्तुत किए, जिनमें उन्हें “अनुचित और अस्वीकार्य” तरीके से दिखाया गया था।

अदालत ने कहा कि प्रस्तुत की गई तस्वीरें और वीडियो “प्रथम दृष्टया चौंकाने वाले” हैं और ऐसे यूआरएल्स के माध्यम से सामग्री का प्रसार अभिनेत्री की छवि और प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

“न्याय के हित में,” हाई कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को आदेश दिया कि वे अपने-अपने प्लेटफॉर्म्स से संबंधित यूआरएल्स को तत्काल हटाएं और भविष्य में ऐसी सामग्री के प्रसार से बचें। अदालत का यह आदेश एआई-जनित कंटेंट, निजता और सेलिब्रिटी पर्सनैलिटी राइट्स के मामलों में एक अहम नज़ीर के तौर पर देखा जा रहा है।