मुस्लिम पर्सनल लॉ: देश के हालात पर गैर-मुस्लिम संगठनों से संपर्क करने की पहल

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 21-05-2022
मुस्लिम पर्सनल लॉ: देश के हालात पर गैर-मुस्लिम संगठनों से संपर्क करने की पहल
मुस्लिम पर्सनल लॉ: देश के हालात पर गैर-मुस्लिम संगठनों से संपर्क करने की पहल

 

आवाज- द वॉयस/ नई दिल्ली

देश के हालात और मुसलमानों के सामने आ रहे हालात को देखते हुए अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पहली बार देश के प्रमुख गैर-मुस्लिम संगठनों और संस्थानों से संपर्क करने का फैसला किया है. इसमें न केवल हिंदू बल्कि सिख और ईसाई संगठन और उनके प्रमुख नेता भी शामिल होंगे. सिविल सोसायटी के सदस्यों से भी बातचीत शुरू की जाएगी.

पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य कासिम रसूल इलियास ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया. "हम यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि देश में पूर्ण अराजकता को कैसे रोका जाए," उन्होंने कहा. हमारा विचार संयुक्त मोर्चा को जन आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करना है.

कासिम रसूल इलियास ने आगे कहा कि हमने एक कमेटी भी बनाई है जो आने वाले हर विवाद की जांच करेगी और लोगों में जागरूकता फैलाएगी ताकि लोगों को ज्ञान वापी मस्जिद समेत हर मस्जिद की असली तस्वीर से अवगत कराया जा सके.

गौरतलब है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) भारत में मुस्लिम संगठनों का सबसे बड़ा निकाय है.मंगलवार शाम को एक आपात बैठक हुई थी.

पर्सनल लॉ बोर्ड ने मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारें इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के लिए ज्ञान वापी मस्जिद प्रशासन समिति को कानूनी और वित्तीय सहायता प्रदान करेगा.

ज्ञान वापी मस्जिद के मामले में उन्होंने कहा, "हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है."

भाजपा के समर्थन से सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया और संसद ने पारित किया कि बाबरी मस्जिद के बाद ऐसे मामलों को रोक दिया जाएगा. इसलिए, यह बहुत निराशाजनक है कि ट्रायल कोर्ट ने अधिनियम के अधिनियमित होने के बावजूद सर्वेक्षण की अनुमति दी है.

एक अन्य सवाल के जवाब में कि क्या इन घटनाओं के पीछे राजनेता हैं, उन्होंने कहा कि यह पिछले दो दिनों में हुआ है. कर्नाटक में एक हिंदू समूह ने अब दावा किया है कि मांडिया जिले के श्रीरंगा पटना में अली मस्जिद एक हनुमान मंदिर थी और उन्हें वहां पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

इसी तरह के विवाद मध्य प्रदेश में अर्ध-मस्जिद, मथुरा में ईदगाह और अब नई दिल्ली में जामा मस्जिद को लेकर पैदा हो गए हैं, जहां एक सर्वेक्षण का प्रयास किया जा रहा है.

बीजेपी-आरएसएस ने आरोप लगाया है कि देश में 30,000 मस्जिदें हैं जिन्हें तोड़कर दोबारा बनाया गया है. फिर इसका कोई अंत नहीं है और ऐसे मामले हमेशा के लिए जारी रह सकते हैं, अराजकता और भ्रम पैदा कर सकते हैं.

ये विवाद भाजपा के राजनीतिक एजेंडे और हिंदू राष्ट्र के निर्माण के आरएसएस के लंबे समय से चले आ रहे एजेंडे का मेल हैं. भाजपा लोगों का ध्यान बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और महामारी की वजह से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से हटाना चाहती है.

देश के धर्मनिरपेक्ष दलों के बारे में उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल आगे नहीं आए और उन्होंने पूजा स्थलों के कानून की रक्षा में कुछ खास नहीं किया.