आवाज द वाॅयस/तिआंजिन (चीन)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के इतर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने, सीमा विवाद का समाधान निकालने और क्षेत्रीय व वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने जैसे अनेक मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ. इस मुलाकात को दोनों देशों के बीच एक संभावनाशील कूटनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी 1 सितंबर को SCO शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे और उसके बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे. इस बैठक में भी व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और रणनीतिक सहयोग पर अहम चर्चा की उम्मीद है.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने और उसे संतुलित करने पर विचार साझा किए. साथ ही, लोगों से लोगों के संबंधों को मजबूत करने, सीमा पार नदियों पर सहयोग बढ़ाने और आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई में सहयोग को गहराने पर भी चर्चा की गई.
वैश्विक व्यापार में भारत-चीन की भूमिका पर सहमति
मुलाकात के दौरान इस बात को भी स्वीकार किया गया कि भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाएं न सिर्फ एशिया में, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था में स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं. मिस्री ने बताया कि दोनों नेताओं ने एक राजनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि द्विपक्षीय व्यापार घाटे को कम किया जा सके और दोनों देशों में निवेश और व्यापार को सुगम बनाया जा सके.
Met PM Mostafa Madbouly of Egypt at the SCO Summit. Fondly recalled my Egypt visit a few years ago. India-Egypt friendship is scaling newer heights of progress! pic.twitter.com/SvPSY7llZ8
— Narendra Modi (@narendramodi) August 31, 2025
शी जिनपिंग के चार प्रमुख सुझाव
विदेश सचिव के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत-चीन संबंधों को और ऊंचाई देने के लिए चार सुझाव दिए:
रणनीतिक संवाद को मजबूत करना और आपसी विश्वास को गहरा करना.
आपसी लाभ और जीत-जीत के परिणामों के लिए सहयोग और आदान-प्रदान को बढ़ाना.
एक-दूसरे की चिंताओं को समुचित महत्व देना और उनका सम्मान करना.
बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करना ताकि साझा हितों की रक्षा की जा सके.
इन सभी प्रस्तावों का प्रधानमंत्री मोदी ने सकारात्मक रूप से स्वागत किया.
Indian music & dance performed by Chinese artists to welcome PM Modi. 🇮🇳🤝🇨🇳#ModiInChina pic.twitter.com/kmfQCrGi2v
— Xu Feihong (@China_Amb_India) August 31, 2025
सीमा विवाद पर स्पष्ट संदेश
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सीमा विवाद भी चर्चा का एक अहम विषय रहा. दोनों नेताओं ने पिछले वर्ष हुई सफल ‘डिसएंगेजमेंट’ का उल्लेख करते हुए यह स्वीकार किया कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनी हुई है. प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल, भारत-चीन संबंधों की सुचारू प्रगति के लिए अनिवार्य है.
इस बात पर सहमति बनी कि सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए मौजूदा संवाद और तंत्रों का उपयोग किया जाएगा और किसी भी तरह की गतिविधि से द्विपक्षीय संबंधों में खलल नहीं डाला जाएगा.
Interacted with President Muizzu of Maldives on the sidelines of the SCO Summit in Tianjin. India’s developmental cooperation with Maldives is greatly beneficial for our people.@MMuizzu pic.twitter.com/DyQJH77Snc
— Narendra Modi (@narendramodi) August 31, 2025
"न्यायसंगत, व्यावहारिक और परस्पर स्वीकार्य" समाधान की प्रतिबद्धता
मिस्री ने बताया कि दोनों देशों ने इस बात पर भी सहमति जताई कि सीमा विवाद का समाधान न्यायसंगत, व्यावहारिक और दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य तरीके से निकाला जाना चाहिए, जो दीर्घकालिक दृष्टिकोण और दोनों देशों के लोगों के हित में हो.
प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन के इतर अन्य विश्व नेताओं से भी मुलाकात की.इन नेताओं में दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया और यूरेशिया के प्रमुख शामिल थे। प्रधानमंत्री ने रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के भारत के दृष्टिकोण को साझा किया.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लीयुआन द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित अन्य नेताओं के साथ पारिवारिक तस्वीर के लिए पोज़ दिया और अनौपचारिक बातचीत की.
यह बैठक भारत और चीन के बीच संवाद की निरंतरता को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण संकेत है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. जहां भारत अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए संतुलित नीति अपना रहा है, वहीं चीन के साथ व्यवहारिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है.
दोनों नेताओं की यह वार्ता भविष्य के द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय करने में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है, खासकर व्यापार और सीमा जैसे जटिल विषयों पर खुले विचार-विमर्श की यह पहल सकारात्मक संकेत देती है.