नागपुर
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताज़ा रिपोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के कई विभागों की गंभीर वित्तीय अनियमितताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, हजारों करोड़ रुपये के अनुदान पर उपयोगिता प्रमाणपत्र (UCs) जमा नहीं किए गए, जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतिम महीने — मार्च 2025 में भारी-भरकम और जल्दबाज़ी में खर्च किया गया।
CAG ने बताया कि 31 मार्च 2025 तक ₹1,77,319.84 करोड़ से जुड़े 52,876 UCs लंबित थे। वित्तीय नियमों के अनुसार, UC जमा न करने से यह जोखिम बढ़ जाता है कि जारी की गई राशि लाभार्थियों तक पहुँची ही न हो।
वर्ष 2024-25 में सरकार ने लगभग 40,047 मामलों में ₹1,37,222.25 करोड़ के UCs को मंजूरी दी।
सबसे ज़्यादा लंबित UCs रखने वाले विभाग इस प्रकार हैं—
शहरी विकास विभाग — ₹11,040 करोड़
नियोजन विभाग — ₹5,805 करोड़
जल संसाधन विभाग — ₹3,602 करोड़
गृह निर्माण विभाग — ₹2,839 करोड़
सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग — ₹2,640 करोड़
इन विभागों पर अनुदान राशि के उपयोग पर पारदर्शिता न रखने का आरोप है।
रिपोर्ट के अनुसार, 18 विभागों ने मार्च 2025 में ही ₹100 करोड़ से अधिक खर्च कर डाले, जो इनके वार्षिक बजट का 25% से भी अधिक है।
वित्त नियमों के मुताबिक, वित्त वर्ष के अंतिम महीने में अत्यधिक खर्च से बचना चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
गृह निर्माण विभाग — कुल व्यय का 90% मार्च में
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग — 77%
नियोजन विभाग — 65%
अल्पसंख्यक विकास विभाग — 53%
पर्यटन एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग — 50%
CAG ने कहा कि इस तरह की खर्च नीति वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन है और धन के उचित उपयोग पर सवाल खड़े करती है।