मंजीत ठाकुर/ नयी दिल्ली
अदब का मेला जश्न-ए-रेख़्ता उर्दू ज़बान से महक रहा है., लेकिन इतवार की सुबह में इसमें माटी की सोंधी खुशबू भी भर गई जब मिथिला के गीतों के साथ मंच पर नमूदार हुईं मैथिली ठाकुर.
मेजर ध्यान चंद स्टेडियम के परिसर में बने विशालकाय मंच महफिल खाना में खचाखच भरे दर्शकों के बीच मैथिली ठाकुर ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत पंजाबी सूफी गीतों से की.
दमादम मस्त कलंदर, छाप तिलक सब छीनी, से होती हुई मैथिली ठाकुर भोजपुरी लोक संगीत और मैथिली गीतों तक आईं.
हर गीत के साथ दर्शकों के हर्षोल्लास और युवाओं की खुशी से निकलती चीख़ों के बीच यह साबित हो गया कि संगीत में भाषा नहीं सुर महत्वपूर्ण होते हैं.