इस्लामाबाद
दुनियाभर से मुसलमान इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज के लिए सऊदी अरब के मक्का शहर में जुटे हैं. आने वाले दिनों में लोग 1,400 साल से अधिक समय पहले शुरू हुए धार्मिक अरकान और इबादत पद्धति में व्यस्त हो जाएंगे. इस बार भी हज के दौरान यात्रियों को कड़ी धूप समेत कई चुनौतियों का सामना करना होगा. इस साल 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हज यात्रा पर पाबंदी लगी है. हालिया वर्षों में यह एक बड़ा नीतिगत बदलाव है.
बताया जा रहा है कि सऊदी अरब ने यात्रा के दौरान बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐहतियात के तौर पर यह कदम उठाया है क्योंकि भारी भीड़ के चलते उनके लिए माहौल खतरनाक हो जाता है. बच्चों को हज से छूट दी गई है तथा उन्हें यौवन अवस्था में पहुंचने तक नमाज और उपवास जैसी अन्य इस्लामी बाध्यताओं को पूरा करने की आवश्यकता नहीं होती है.
पाकिस्तान के लाहौर शहर के तल्हा अयूब ने बताया कि उनके पांच बच्चे अपने दादा-दादी के साथ रह रहे हैं, जबकि वह और उनकी पत्नी ‘‘आराम से’’ हज कर रहे हैं.
एक से 13 वर्ष की आयु के बच्चों के पिता अयूब ने कहा, “अगर बच्चों को अनुमति भी दी जाती, तो भी हम शायद उन्हें साथ नहीं ले जाते, क्योंकि इस साल मौसम बहुत खराब है. उन्हें न ले जाने को लेकर मेरी मिली-जुली भावनाएं हैं. मुझे उनकी कमी खलेगी.”
यात्रियों की आयु के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं दिए गए हैं, लेकिन अधिकतर की उम्र 35 से 64 साल के बीच है. हज यात्रा पर औसतन चार हजार (लगभग साढ़े तीन लाख रुपये) से 20 हजार (लगभग 17 लाख रुपये) डॉलर के बीच खर्च आता है. यह खर्च यात्रा के दिनों, सुविधाओं, हज यात्री के देश, मुद्रा, कर आदि पर निर्भर करता है.
ज्यादातर विकासशील देशों के लोग हज के लिए आते हैं. कुछ देशों में हज के लिए छूट मिलती है. लेकिन फिर भी हज के खर्च में ज्यादा कमी नहीं आती है. बांग्लादेश की हज एजेंसी एसोसिएशन के महासचिव फरीद अहमद मजूमदार ने कहा कि इस साल देश को 1,27,000 यात्री भेजने की अनुमति थी, लेकिन इतने यात्री नहीं भेजे जा सके. इसका मुख्य कारण यह है कि चीजों की कीमतें बहुत ज्यादा हैं.
पाकिस्तान सरकार ने हज कार्यक्रम के तहत दाम कम कर दिए और भुगतान प्रणाली में भी लचीला रुख अपनाया है. किसान और छोटे व्यवसायी जहीर अहमद ने कहा कि उनके पास हज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे, लिहाजा उन्होंने दिसंबर में हज के लिए भुगतान करना शुरू किया और तीन किस्त में फरवरी तक पूरी धनराशि का भुगतान कर दिया.
उन्होंने कहा, “अगर ऐसा न होता तो शायद मैं हज के लिए नहीं जा पाता.” इसी तरह सऊदी अरब ने भी घरेलू हजयात्रियों के लिए लचीली भुगतान व्यवस्था पेश की है, जिसके तहत बुकिंग के 72 घंटे के अंदर 20 प्रतिशत रकम का भुगतान करना होता है. 40 प्रतिशत का भुगतान रमजान के दौरान और शेष 40 प्रतिशत का रमजान के अगले महीने भुगतान करना होता है.
हालांकि, हज यात्रा जीवन में एक बार करनी होती है, लेकिन लोग इसके लिए पूरा जीवन इंतजार नहीं करना चाहते. लेकिन हज यात्रियों के लिए व्यवस्था सीमित होती है, इसे देखते हुए देशों ने कोटा निर्धारित किया है. इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे मुस्लिम बहुल देशों में हज के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ सकता है. इंडोनेशिया में 54 लाख लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं और हर साल यह संख्या बढ़ती जा रही है.
हालांकि, लोगों को एक से अधिक बार हज करने से रोकने के लिए कोई नियम नहीं है, कुछ सरकारों का मानना है कि इसके चलते दूसरे लोगों को अवसर नहीं मिल पाता, खासकर अधिक आबादी वाले देशों में. भारत में एक से ज्यादा बार हज करने पर प्रतिबंध है और राष्ट्रीय हज समिति पहले तीर्थयात्रा कर चुके किसी भी व्यक्ति के आवेदन को स्वीकार नहीं करती, हालांकि बुजुर्गों जैसे कुछ श्रेणियों के लोगों के साथ आने वालों को अपवाद माना जाता है.
अप्रैल में, अनधिकृत हज तीर्थयात्रियों पर अंकुश लगाने और यात्रा को नियंत्रित करने के लिए सऊदी अरब ने 14 देशों के लिए अल्पकालिक वीजा जारी करने को निलंबित कर दिया था, जिनमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, नाइजीरिया, जॉर्डन, अल्जीरिया, सूडान, इथियोपिया, ट्यूनीशिया, यमन और मोरक्को शामिल हैं.
अतीत में लोग अल्पकालिक वीजा पर सऊदी अरब की यात्रा करते थे और हज के लिए आधिकारिक अनुमति के बिना मक्का में प्रवेश करते थे.
गृह मंत्रालय ने मई में चेतावनी दी थी कि सही वीजा के बिना हज के दौरान मक्का में प्रवेश करने का प्रयास करने वाले किसी भी व्यक्ति पर 20,000 रियाल (लगभग 5,330 डॉलर) का जुर्माना लगाया जाएगा.