महाराष्ट्रः जमीयत ने गरीबों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बनवाया अस्पताल

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
महाराष्ट्रः जमीयत ने गरीबों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बनवाया अस्पताल
महाराष्ट्रः जमीयत ने गरीबों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बनवाया अस्पताल

 

राकेश चौरासिया / सोलापुर

समाज के गरीब और हाशिए के वर्गों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए, जमीयत-ए-उलेमा हिंद ने महाराष्ट्र के सोलापुर में एक अस्पताल बनाया है. इस साल जुलाई के अंत में मरीजों के लिए खोले गए जमीयत-ए-उलेमा डे-केयर अस्पताल का उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों के लिए न्यूनतम शुल्क पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है. अस्पताल का उद्घाटन महाराष्ट्र के जेयूएच के राज्य अध्यक्ष मौलाना नदीम सिद्दीकी ने किया और इसमें कई प्रख्यात डॉक्टरों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.

टूसर्कलनेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना नदीम ने कहा कि “अस्पताल गरीब मरीजों को जाति, धर्म और पंथ की परवाह किए बिना बहुत ही मामूली दर पर उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करेगा.” अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ फारूक मुल्ला ने को बताया, ‘‘ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) और एक मेडिकल स्टोर अभी काम कर रहा है और डेकेयर सुविधाएं जल्द ही शुरू हो जाएंगी.’’

डॉ फारूक ने कहा कि अस्पताल ओपीडी के अलावा ईएसजी और सभी प्रकार के रक्त परीक्षण 30 से 50 प्रतिषत रियायती शुल्क पर भी करता है. विशेषज्ञ डॉक्टर भी प्रमुख मामलों को संभालने के लिए हमारे पास आते हैं. जरूरतमंदों के लिए इस तरह की स्वास्थ्य सुविधा खोलने की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए, जीमयत के जिला अध्यक्ष मौलाना इब्राहिम कासमी ने बताया कि ‘‘स्वास्थ्य और शिक्षा बुनियादी सुविधाएं हैं जिन्हें मुफ्त या सबसे कम शुल्क प्रदान किया जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से ये दोनों एक आकर्षक व्यापार बन गए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘समय की जरूरत को देखते हुए हमने इस अस्पताल को 5000 वर्ग फुट के भूखंड पर शुरू किया है.’’

मौलाना इब्राहिम ने कहा कि ‘‘गरीबों की सेवा करना ही अस्पताल का मकसद है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने सभी संसाधनों का उपयोग करके स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमारा नया उद्यम हाशिए के समुदायों के छात्रों को कक्षाएं आयोजित करके प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करना होगा.’’

 

अस्पताल के बुनियादी ढांचे का खर्च लोगों से चंदा इकट्ठा करके वहन किया गया. जमीयत के महासचिव हसीब नदाफ ने कहा, ‘‘हम यह सब लोगों से चंदा इकट्ठा करके कर रहे हैं. मुझे कहना होगा कि हमारे शहर स्थित बिरादरी (वर्गों) ने तहे दिल से दान दिया है.’’ नदाफ ने कहा कि महामारी के दौरान, जेयूएच ने उसी परिसर में एक कोविड देखभाल केंद्र स्थापित किया. उन्होंने कहा कि यह नया मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है.’’

सामाजिक कार्यकर्ता सलाहुद्दीन पीरजादे ने जेयूएच की इस पहल की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘‘जमीयत हमेशा सभी मानवीय कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाता है. सभी को आगे आना चाहिए और लक्ष्य हासिल करने में उनकी मदद करनी चाहिए.’’ एक युवा राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता अशफाक बागवान के लिए, सोलापुर शहर को विशेष रूप से महिलाओं के लिए विशेष अस्पतालों की सख्त जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अक्सर कई महिलाओं से शिकायती कॉल आती हैं, जिन्हें सरकारी अस्पतालों में उपेक्षा का सामना करना पड़ता है. सच तो यह है कि गरीब मरीज अपनी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए हमेशा संघर्ष करते हैं