लैंड फॉर जॉब केस: एक और आरोपी की मौत, सीबीआई को डेथ वेरिफिकेशन रिपोर्ट के लिए समय

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 15-12-2025
Land-for-jobs case: Another accused dies; CBI seeks more time for death verification report.
Land-for-jobs case: Another accused dies; CBI seeks more time for death verification report.

 

नई दिल्ली

लैंड फॉर जॉब मामले में सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बताया कि एक और आरोपी की मृत्यु हो चुकी है। इससे पहले इस मामले की कार्यवाही के दौरान चार आरोपियों की मौत हो चुकी है। मामला फिलहाल आरोप तय करने के चरण में है। इस केस में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव समेत कई अन्य लोग आरोपी हैं।

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने सीबीआई को निर्देश दिया कि कथित रूप से मृत एक आरोपी की डेथ वेरिफिकेशन रिपोर्ट (डीवीआर) अदालत में दाखिल की जाए। अदालत ने इस रिपोर्ट के दाखिल होने और अन्य आरोपियों की स्थिति की पुष्टि के लिए मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को तय की है।

सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एवं विशेष लोक अभियोजक डी. पी. सिंह, मणु मिश्रा के साथ अदालत में पेश हुए। उन्होंने बताया कि एक आरोपी के निधन की जानकारी मिली है, जबकि एक अन्य आरोपी से संपर्क नहीं हो पा रहा है।

इसके बाद अदालत ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती, हेमा यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश को फिलहाल स्थगित कर दिया। अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह सभी आरोपियों की वर्तमान स्थिति का सत्यापन करे, क्योंकि सुनवाई के दौरान कुछ आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है।

सीबीआई ने इस मामले में कुल 103 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें से अब तक चार की मृत्यु हो चुकी है। एजेंसी ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, तेजस्वी प्रसाद यादव, हेमा यादव, तेज प्रताप यादव और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।

गौरतलब है कि 11 सितंबर को अदालत ने लैंड फॉर जॉब मामले में आरोप तय करने को लेकर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई का आरोप है कि रेलवे में नौकरियाँ जमीन के बदले दी गईं।

सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक डी. पी. सिंह ने अदालत में दलील दी कि आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं।

वहीं, पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनींदर सिंह ने मामले को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि जमीन के बदले नौकरियाँ दी गईं। उनके अनुसार, उपलब्ध बिक्री विलेख यह दर्शाते हैं कि जमीन का क्रय-विक्रय पैसे के बदले किया गया था।

मनींदर सिंह ने कहा कि नियुक्तियों के संबंध में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ और न ही जमीन के बदले किसी को नौकरी दी गई। उन्होंने यह भी दलील दी कि लालू प्रसाद यादव ने किसी भी उम्मीदवार की सिफारिश नहीं की थी और किसी भी रेलवे जनरल मैनेजर ने यह नहीं कहा कि उसकी मुलाकात लालू प्रसाद यादव से हुई हो।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने आगे कहा कि इस मामले में भ्रष्टाचार का कोई भी आधार नहीं बनता। केवल किसी को ‘किंगपिन’ कह देना पर्याप्त नहीं है, जब तक उसके खिलाफ ठोस साक्ष्य न हों। उन्होंने यह भी कहा कि यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि किसी भी जमीन को मुफ्त में लिया गया हो, बल्कि जमीन की खरीद निर्धारित मूल्य पर की गई थी।

राबड़ी देवी की ओर से भी दलील दी गई कि उन्होंने जमीन खरीदने के लिए पूरा भुगतान किया था और पैसे देकर जमीन खरीदना कोई अपराध नहीं है। किसी भी आरोपी उम्मीदवार को कोई अनुचित लाभ नहीं दिया गया और ये सभी लेनदेन एक-दूसरे से जुड़े हुए नहीं हैं।

अंत में बचाव पक्ष ने कहा कि सीबीआई को भ्रष्टाचार साबित करना होगा। जमीन की बिक्री उचित मूल्य पर हुई और सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। ऐसे में भ्रष्ट आचरण कहां है—यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है।