कोच्चि (केरल)
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के लिए सोलह विधेयकों में से वक्फ (संशोधन) विधेयक सरकार के एजेंडे में है, कोच्चि के निवासियों ने इस अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के माध्यम से अपनी चिंताएं जताई हैं.
प्रदर्शन कर रहे लोगों के अनुसार, मुनंबम समुदाय को वक्फ अधिनियम के कारण कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा कि वे पिछले 33 दिनों से अहिंसक तरीके से विरोध कर रहे हैं.
1988 और 1993 के बीच संपत्ति खरीदने और 150 से अधिक वर्षों से वहां रहने के बावजूद, वक्फ बोर्ड ने अब स्वामित्व का दावा किया है.
समुदाय ने सरकार से वक्फ अधिनियम की समीक्षा करने और उनकी संपत्ति वापस करने की सुविधा देने का आग्रह किया है.उन्होंने कहा, "हम अपने विरोध प्रदर्शन के 33वें दिन हैं. यह अहिंसा के तरीके का पालन करते हुए उपवास का विरोध है.
आज, हम वक्फ अधिनियम का पुतला लेकर आए हैं. हम किसी खास धर्म के खिलाफ नहीं हैं. हम केवल वक्फ अधिनियम के खिलाफ हैं, जिसमें संशोधन किया जाना है. हमें कानूनों में संशोधन करने की जरूरत है . हमें कुछ मुद्दों को संबोधित करना है जो आज के भारत में गहराई से निहित हैं."
उन्होंने कहा,"इस अधिनियम के कारण यहां मुनंबम के लोग पीड़ित हैं. 1995 में, इस अधिनियम ने वक्फ बोर्ड को इस संपत्ति पर दावा करने में सक्षम बनाया. ये मछुआरे पिछले 150 वर्षों से इस स्थान पर रह रहे हैं. उन्होंने 1988-1993 में यह संपत्ति खरीदी थी.
इस संपत्ति पर 35 साल तक कब्जा करने के बाद, आज उन्हें जाने के लिए कहा जा रहा है.वक्फ बोर्ड ने इस संपत्ति को अपने पंजीकरण में दर्ज कर लिया है. उम्मीद है कि सरकार इन सभी चीजों पर ध्यान देगी और वक्फ अधिनियम को बदलने के लिए आवश्यक बदलाव करेगी और हमें इस संपत्ति को पुनः प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी."
इस बीच, विचार और पारित होने के लिए सूचीबद्ध वक्फ (संशोधन) विधेयक की संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति द्वारा जांच की जा रही है. पैनल को शीतकालीन सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. विपक्षी सदस्य पैनल को अपनी रिपोर्ट प्रदान करने के लिए समय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होगा और 19 बैठकों के साथ 20 दिसंबर तक जारी रहेगा. इस साल 22 अगस्त से वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने 25 बैठकें की हैं. जेपीसी ने छह मंत्रालयों के काम की समीक्षा की है और छह राज्यों, आठ वक्फ बोर्डों और चार अल्पसंख्यक आयोगों के प्रतिनिधियों सहित 123 हितधारकों की बात सुनी है.
गौरतलब है कि वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए बनाया गया वक्फ अधिनियम 1995 लंबे समय से कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण के आरोपों का सामना कर रहा है. वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में व्यापक सुधार लाने, डिजिटलीकरण, सख्त ऑडिट, पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्ज़े वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी तंत्र शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है.