आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
केरल में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को एक बड़ी राहत मिली है क्योंकि शनिवार को केरल के स्थानीय निकाय चुनाव में विपक्षी गठबंधन निर्णायक जीत की ओर बढ़त बनाता दिख रहा है और मतदाताओं को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लुभाने का एलडीएफ का आखिरी प्रयास विफल रहा।
राज्य में इस सप्ताह की शुरुआत में दो चरणों में हुए स्थानीय निकाय चुनाव के शुरुआती मतगणना रुझानों और परिणामों से संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के प्रति जनमत में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत मिला है। यूडीएफ ने पिछले दो लोकसभा चुनाव में राज्य में भारी जीत हासिल की थी।
मौजूदा रुझानों से संकेत मिलता है कि चुनाव परिणाम के बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को आगामी राज्य विधानसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा।
स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा से ठीक पहले वामपंथी सरकार ने चुनाव के मद्देनजर सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पेंशन में वृद्धि, आशा कार्यकर्ताओं के लिए उच्च मानदेय और एक नयी महिला सुरक्षा योजना सहित कई अन्य वित्तीय पैकेज की घोषणा की थी।
राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) द्वारा जारी रुझानों के अनुसार, यूडीएफ कोल्लम, त्रिशूर और कोच्चि - तीन नगर निगमों पर एलडीएफ से नियंत्रण छीनने और कन्नूर निगम को बरकरार रखने की दिशा में अग्रसर दिख रहा था।
खास बात यह है कि कोल्लम और त्रिशूर नगर निगमों पर वाम मोर्चे का क्रमशः 25 और 10 वर्षों तक कब्जा रहा है।